पुलिस ने युवक को आत्महत्या करने से रोका और पूछताछ की। युवक ने बताया कि वह एक लड़की से बात करता था, लेकिन लड़की के फोन पर बात करने से इनकार करने के बाद उसने यह कदम उठाने का मन बनाया। उसने विषाक्त पदार्थ की जगह नींद की गोलियां खा ली थीं। पुलिस ने तुरंत डॉक्टर की मदद से उसका घर पर ही इलाज कराया और भविष्य में ऐसा कदम न उठाने के लिए काउंसलिंग की। आजमगढ़ पुलिस की इस त्वरित कार्रवाई और मेटा एआई की सतर्कता ने एक अनमोल जिंदगी को बचा लिया। यह घटना तकनीक और पुलिस की समन्वित कार्यप्रणाली का बेहतरीन उदाहरण है।