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रामायण में हाइवे इंजीनियरिंग से लेकर आर्टिफिशियल इमेजिंग तक के संकेत

रामनवमी पर विशेष (Ram Navami Special): वाल्मीकि रामायण में वर्णित घटनाओं और तकनीकों को समझा रहे हैं पत्रिका के एक्सपर्ट इंदौर के कंसल्टिंग इंजीनियर श्रीनिवास कुटुंबले (science and technology in ramayana)।

भारतApr 06, 2025 / 10:17 am

Pravin Pandey

Ram Navami Special science and technology in ramayana Hints from highway engineering to artificial imaging

Ram Navami Special science and technology in ramayana Hints from highway engineering to artificial imaging: राम नवमी पर जानें रामायण विज्ञान और प्रौद्योगिकी संबंधी किन जानकारियों के मिलते हैं संकेत

Ram Navami Special: सनातन संस्कृति केवल धार्मिक ही नहीं, वैज्ञानिक महत्त्व को भी दर्शाती है। वाल्मीकि रामायण में अद्भुत वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग ज्ञान भी है। रामायण में वर्णित घटनाएं-संरचनाएं अत्यधिक विकसित इंजीनियरिंग प्रणाली का प्रमाण देती हैं। वाल्मीकि रामायण में वर्णित घटनाओं और तकनीकों से स्पष्ट होता है कि प्राचीन भारत में इंजीनियरिंग और विज्ञान का उच्च स्तर था।

भवन निर्माण: अदभुत नगर नियोजन


अयोध्याः वाल्मीकि इसे सुसज्जित, समतल सड़कों से युक्त और उत्कृष्ट जल निकासी, गगनचुंबी अट्टालिकाएं, प्रत्येक कार्य के लिए अलग-अलग बाजार, शहर की सुदृढ़ सुरक्षा प्रणाली वाला नगर बताते हैं।
लंकाः इसका निर्माण विश्रवा पुत्र मय दानव ने किया था। सोने से निर्मित इस शहर में ऊंची अट्टालिकाएं, सुव्यवस्थित गलियां, जलाशय और अभेद्य सुरक्षा प्रणाली वास्तुशिल्प का प्रमाण है।


किष्किंधा, जो वानरों का राज्य था, प्राकृतिक रूप से सुरक्षित स्थान पर बसा था। इसकी गुफाएं, सुरंगें और जलस्रोत इस नगर को विशिष्ट बनाते थे।

भू-गर्भ शास्त्र : भूगर्भीय संरचनाओं का ज्ञान

1.रामायण में विभिन्न स्थानों के भूगर्भशास्त्रीय वर्णन भी मिलते हैं। हनुमान की लंका यात्रा के दौरान समुद्र, पर्वतों और द्वीपों का जो विवरण मिलता है, वह भूगर्भ शास्त्र के गहन ज्ञान को दर्शाता है।
2. सगर पुत्रों द्वारा किए गए पृथ्वी की खुदाई और उसमें आए विभिन्न भूभागों का उल्लेख भी महत्त्वपूर्ण है। वर्तमान में मान्य प्लेट टेक्टोनिक्स का वर्णन भी आता है, साथ ही भू-गर्भ में लावा होने का उल्लेख भी है।
3. खनिज तकनीकः हिमालय के दक्षिण में व विंध्य और आरावली के उत्तर में पूर्व से लेकर पश्चिम तक का भूभाग जो पूर्वकाल में समुद्र की तलहटी का क्षेत्र था, सगरपुत्रों द्वारा खोदे जाने का वर्णन है।
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गंगा अवतरण : अद्भुत जल प्रबंधन प्रणाली

  1. गंगा नदी का पृथ्वी पर अवतरण एक अद्भुत जल प्रबंधन प्रणाली का संकेत देता है। भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए भगवान शिव की सहायता ली। यह पूरी प्रक्रिया हाइड्रोलॉजी और ग्रेविटेशनल फोर्स के उपयोग को दर्शाती है।
2. मात्र 100 किलोमीटर की सीधी दूरी से चार हजार मीटर की ऊंचाई पार करने के लिए गंगा के वेग को नियंत्रित करने के लिए भगवान शिव ने अपनी जटाओं में रोकने का उल्लेख जल प्रवाह नियंत्रण तकनीकों की ओर संकेत करता है। यह आधुनिक डैम और जल वितरण प्रणाली के समान प्रतीत होता है।

हाइवे इंजीनियरिंग : अयोध्या से चित्रकूट (Highway Engineering)

1. रामायण में राजमार्गों और यात्रा मार्गों का विस्तृत विवरण है। राम के वनवास के दौरान जिन मार्गों का वर्णन किया गया है, वे सुनियोजित और प्राकृतिक संसाधनों से युक्त थे।
2. भरत ने जब श्रीराम को वापस लाने का निर्णय लिया तब परिवार, सेना तथा अयोध्यावासियों ने अयोध्या से चित्रकूट जाने के लिए मार्ग बनाने को कहा, जो बाद में तैयार हुआ।

3. प्राचीन भारत की उन्नत सड़क निर्माण प्रणाली को दर्शाता है, जो आज के हाइवे इंजीनियरिंग के समकक्ष है। इस हाइवे के निर्माण में कंक्रीट के उपयोग में लाने का भी उल्लेख है।
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कंस्ट्रक्शन: प्रीफैब निर्माण, इवेंट मैनेजमेंट (Event Management)

1. भरत के आगमन पर ऋषि भारद्वाज द्वारा बनाई गई अस्थायी नगरी एक प्रकार के प्रीफैब निर्माण का उदाहरण है। राजसूय यज्ञ, अश्वमेध यज्ञ के आयोजनों में इवेंट मैनेजमेंट की झलक मिलती है।
2. रामसेतु निर्माण के दौरान श्रमिकों के कार्य विभाजन और उनके प्रबंधन से यह स्पष्ट होता है कि कार्यों का सुनियोजित ढंग से संचालन किया जाता था।

प्रबंधन : टेंट नगरी और ईंटों का उपयोग

भरत के आगमन पर ऋषि भारद्वाज द्वारा तात्कालिक व्यवस्था के तहत टेंट नगरी की स्थापना उल्लेखनीय है। इसमें निर्माण के लिए ईंटें के उपयोग का भी उल्लेख है।

खगोल विज्ञान : एल वन पाइंट (Astronomy In Ramayana)

1. वाल्मीकि रामायण में ग्रहों की स्थिति, सूर्य और चंद्रमा की गति, ग्रहण की घटनाएं और नक्षत्रों का प्रभाव इस बात का संकेत देते हैं कि प्राचीन काल में भी खगोल विज्ञान का उच्च स्तर था।
2.एलवन पॉइंट (लैग्रेंज पॉइंट) जैसे सिद्धांतों का अप्रत्यक्ष उल्लेख त्रिशंकु की कथा में सूर्य और चंद्रमा की गुरुत्वाकर्षण शक्तियों के संतुलन से संबंधित वर्णनों में मिलता है।

वानर सेना भ्रमण : जीपीएस के उपयोग का संकेत (GPS In Ramayana)

1.सुग्रीव द्वारा चारों दिशाओं में भेजी गई वानर सेना को जिन स्थलों का निर्देश दिया गया था, वे आधुनिक समय के वैश्विक स्थान निर्धारण प्रणाली (जीपीएस) के समान है।

2. पूर्व दिशा में वानर सेना ने बंगाल, बिहार, ओडिशा होते हुए जावा सुमात्रा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड होते हुए दक्षिण अमरीका के पेरू और वियतनाम और जापान तक की यात्रा की।

3. दक्षिण में जामवंत के नेतृत्व में हनुमान, अंगद, नल, नील आदि लंका की ओर गए। पश्चिम में राजस्थान, गुजरात होते हुए अफगानिस्तान, ईरान, इराक, तुर्की होते हुए और यूरोप के आल्प्स पर्वत का भी जिक्र।
4. उत्तर दिशा में इंद्रप्रस्थ, कुरुक्षेत्र, कश्मीर, हिमालय, तजाकिस्तान, कजाकिस्तान, उत्तरी समुद्र, पोलरिस, बोलारिस से होकर उत्तरी ध्रुव का वर्णन है।

सेतु बंधन : प्राचीन भारतीय इंजीनियरिंग

रामसेतु का निर्माण प्राचीन भारतीय इंजीनियरिंग का अद्भुत उदाहरण है। इसका निर्माण नल और नील के निर्देशन में हुआ, वृक्ष,लताएं बेल तथा पत्थरों का उपयोग करने की तकनीक में निपुण थे। आधुनिक शोध से यह प्रमाणित हुआ है कि रामसेतु एक भूगर्भीय संरचना है, जो विभिन्न द्वीपों को जोड़ता है।

स्वर्ण मृग : कृत्रिम छवि का निर्माण (आर्टिफिशियल इमेजिंग)

वाल्मीकि रामायण में माया के प्रयोग का उल्लेख मिलता है। मायावी मारीच द्वारा स्वर्ण मृग का निर्माण, इंद्रजीत द्वारा सीता राम और लक्ष्मण की छवि उत्पन्न करना आदि आर्टिफिशियल इमेजिंग की उन्नत तकनीक का प्रमाण है।

पुष्पक विमान : वैमानिक इंजीनियरिंग (Aeronautics In Ramayana)

वाल्मीकि रामायण में पुष्पक विमान का उल्लेख मिलता है, जिसे रावण ने कुबेर से छीना था। यह विमान अत्यंत उन्नत तकनीक से निर्मित था और इच्छानुसार गमन करने में सक्षम था। विमान का आकार भी आवश्यकतानुसार बदला जा सकता था। यह प्राचीन वैमानिक इंजीनियरिंग की शुरुआत थी।

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