बृहस्पति अतिचारी 2032 ने क्या खिलाएं हैं गुल (Guru Gochar May Major Incidents)
ज्योतिषियों के अनुसार जब बृहस्पति किसी भी राशि में अतिचारी होता है, तब यह अशांति लेकर आता है। इसके प्रभाव से कई ऐसे निर्णय होतने हैं, जो कष्ट का कारण बनता है। शुभ ग्रह बृहस्पति के तेज गति से चलने से कई बार उथल-पुथल और अस्थिरता आती है। आइये जानते हैं अतीत की उन घटनाओं के बारे में जब बृहस्पति अतिचारी थे।
महाभारत युद्ध (Mahabharat)
ज्योतिषियों की मानें तो जब कुरूक्षेत्र में महाभारत युद्ध हुआ था, तब बृहस्पति अतिचारी थे। उस समय कौरवों और पांडवों के बीच जबरदस्त रक्तपात के बाद पांडवों ने सत्ता हासिल की।
द्वितीय विश्वयुद्ध (Second World War)
ज्योतिषियों की मानें तो द्वितीय विश्वयुद्ध के समय भी बृहस्पति का अतिचारी गोचर हुआ था। उस समय सेना और आम नागरियों को मिलाकर कुल 75 मिलियन लोग मारे गए थे।
स्वतंत्रता दिवस (Independence Day)
15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता एक बड़ी घटना थी। इस बदलाव के वक्त भी बृहस्पति अतिचारी थे। जब ब्रिटिश उपनिवेश से भारत की स्वतंत्रता की घोषणा के बाद देश के नेताओं ने सत्ता संभाली।कोरोना वायरस (Corona Virus)
कुछ ज्योतिषियों की मानें तो दुनिया में कोरोना की आमद साल 2020 में बृहस्पति के अतिचारी प्रभाव के कारण हुई थी। इस महामारी ने लोगों को बेघर किया, नौकरियां चली गईं, लाखों लोगों की जान गई। वैश्विक अर्थव्यवस्था में जबरदस्त गिरावट देखने को मिली। हालांकि कुछ लोग इसे राहु-केतु की चाल से भी जोड़कर देखते हैं।7 साल रहना होगा संभलकर (Guru Atichari 2025 Till 2032 Effect)
ज्योतिषियों की मानें तो बृहस्पति 2025 से लेकर 2032 तक अतिचारी रहेंगे। इस अवधि में बृहस्पति निजी जीवन, करियर और दुनियाभर में बड़े बदलाव लेकर आएंगे। बृहस्पति का स्वभाव विस्तार करने का है, ऐसे में वर्तमान में चल रहे युद्ध, संघर्ष और संकट बड़े बदलाव का कारण बन सकते हैं।दुनिया पर डालेगी बड़ा असर (Guru Atichari 2025 Till 2032 Effect On World)
ज्योतिषियों के अनुसार बृहस्पति की तेज गति दुनियाभर में कई युद्धों को तेज कर सकती है। रूस और यूक्रेन के बीच का युद्ध किसी नतीजे पर नहीं पहुंचा है, इजराइल हमास युद्ध भी खत्म नहीं हुआ है। इधर, मीन राशि में चतुर्ग्रही योग बना हुआ है और बृहस्पति के अतिचारी होने का दुष्प्रभाव भारत समेत दुनिया को 1929 की तरह आर्थिक मंदी की ओर ले जा सकता है। इससे उबरने में दुनिया को समय लग सकता है।ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शनि बृहस्पति की किसी भी राशि में गोचर करते हैं, तब वैश्विक स्तर पर अकाल या मंदी की स्थिति बन सकती है, और इधर शनि बृहस्पति की मीन राशि में ढाई साल रहने वाले हैं। बृहस्पति धन के कारक हैं और शनि विपरीत, इससे असंतुलन की स्थिति पैदा हो सकती है।