आग की रफ्तार बारूद जैसी, खेतों में मचा तांडव
आग की शुरुआत बहादुरपुर क्षेत्र के तीन गांवों से हुई और पलभर में खेतों में खड़ी तैयार फसलों को निगल गई। खेतों में केवल आग की लपटें और काले धुएं का मंजर नजर आया। किसानों ने ट्यूबवेल चालू कर खेतों में पानी बहाना शुरू किया, ट्रैक्टरों से प्लाऊ और पंजा चलाकर आग रोकने का प्रयास किया। एक फायर ब्रिगेड समय पर पहुंची, लेकिन बाकी जब तक घटनास्थल पर पहुंचतीं, तब तक किसानों ने खुद ही काफी हद तक आग पर काबू पा लिया था। किसानों की सूझबूझ से बचीं हजारों बीघा फसले
हालांकि एक हजार बीघा फसल जलकर पूरी तरह तबाह हो गई, पर समय रहते आग पर नियंत्रण पाने के चलते कई हजार बीघा की फसल बचा ली गई। फिर भी, खेतों में भूसा बना रही मशीन और ट्राली भी आग की चपेट में आ गई, जिससे और नुकसान हुआ।
किसानों का फूटा गुस्सा
फायर ब्रिगेड की देरी और भारी नुकसान से आक्रोशित किसानों ने नेशनल हाइवे 346ए पर जाम लगा दिया। ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों से मार्ग अवरुद्ध कर दिया गया और कलेक्टर को बुलाने की मांग पर अड़ गए। इस दौरान कांग्रेस नेता यादवेंद्रसिंह भी किसानों के साथ धरने पर बैठ गए। करीब ढाई घंटे तक हाइवे पर दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं। 3.12 करोड़ रुपए का नुकसान
किसानों के मुताबिक, इन गांवों में खरीफ सीजन में धान की खेती हुई थी, जिससे रबी सीजन में गेहूं की बोवनी देरी से हुई। फिर भी फसल अब पककर कटाई के लिए तैयार थी। यदि प्रति बीघा 12 क्विंटल औसत उत्पादन मानें, तो एक हजार बीघा में 12,000 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होता, जिसकी कीमत समर्थन मूल्य 2,600 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से 3.12 करोड़ रुपए होती। यानी आधे घंटे की आग ने किसानों को करोड़ों की चपत लगा दी।
सर्वे और मुआवजे का वादा
मुंगावली विधायक बृजेंद्रसिंह यादव ने स्वयं घटनास्थल का दौरा किया और कहा, तीनों गांवों में बड़ी मात्रा में नुकसान हुआ है। मैंने खुद अधिकारियों के साथ खेतों का निरीक्षण किया है। कल से ही सर्वे शुरू कराया जाएगा और मुख्यमंत्री से बात कर 100 प्रतिशत नुकसान का मुआवजा दिलाया जाएगा। वहीं कलेक्टर सुभाषकुमार द्विवेदी ने कहा, पूरा जिला प्रशासन अलर्ट है। आग बुझाने के लिए सभी फायर ब्रिगेड भेजी गई थीं। अब तक 700 से 800 बीघा फसल के नुकसान की सूचना मिली है। एसडीएम और तहसीलदार मौके पर हैं और राहत राशि जल्द ही प्रभावित किसानों को दी जाएगी।