शिक्षक भर्ती-2022 के तहत प्रथम लेवल में चयनित एक शिक्षक की ओर से प्रस्तुत दिव्यांगता प्रमाण पत्र के प्रतिशत में बड़ा अंतर आने का मामला सामने आया है। जिसके कारण जिला परिषद ने इसकी नौकरी रोकते हुए निदेशक माध्यमिक शिक्षा बीकानेर को मार्गदर्शन के लिए पत्र भेजा है।
हाल ही में हुई जिला स्थापना समिति की बैठक में चयनित तृतीय श्रेणी अध्यापक राजेंद्र लील की नियुक्ति का मुद्दा चर्चा के लिए रखा गया, जिसमें बताया कि अलवर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी (पीएमओ) ने राजेंद्र को 21 फीसदी और सवाई मानसिंह चिकित्सालय जयपुर (एसएमएस) में राजेंद्र को 45 फीसदी दिव्यांग बताया है। निर्धारित प्रतिशत से ज्यादा भिन्नता होने के कारण यह मामला राज्य सरकार को मार्गदर्शन के लिए भिजवाने का सर्वसमति से निर्णय लिया गया।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल भी जिला परिषद की ओर से फर्जी दिव्यांगता प्रमाण पत्र से नियुक्त हुए ग्राम विकास अधिकारी श्रवण लाल यादव को नौकरी से बर्खास्त किया गया था। इसके अलावा एक अन्य निर्णय में विषम पारिवारिक परिस्थितियों के आधार पर दो कर्मचारियों को कार्य व्यवस्था के तहत लगाने और भविष्य में आवश्यकता के तहत जिला परिषद में मंत्रालयिक संवर्ग के कर्मचारियों को लगाने का निर्णय लिया गया। हालांकि कार्य व्यवस्था पर राज्य सरकार की ओर से पहले ही रोक चल रही है।
फूंक-फूंककर कदम रख रहे अधिकारी
लिपिक भर्ती 2013 में कई फर्जीवाड़े सामने आने के बाद सरकार इसकी अपने स्तर से एसओजी से जांच करवा रही है। ऐसे में जिला परिषद पर दबाव आ गया। कहीं नई गड़बड़ी न हो जाए। इसी को देखते हुए दिव्यांग शिक्षक के लिए यह निर्णय लिया गया। कुछ शिक्षक पहले भी फर्जी तरीके से नौकरी पा चुके हैं, जिन्हें हटाया गया था।