अध्यक्ष पद से संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि माता-पिता, समाज और राष्ट्र की विद्यार्थियों से अपेक्षाएं होती हैं। जो युवा इन तीनों की भावनाओं का सम्मान करता है, समाज और राष्ट्र के लिए अपनी शिक्षा और कौशल का उपयोग करता है, वही सफल माना जाता है। आत्मा, परमात्मा, संसार, सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करना ही शिक्षा का सार है।
मैकेनिकल प्रक्रिया बन कर रह गई पीएचडी: पटेल
शिक्षामंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि सरकार पीएचडी के लिए काफी कुछ कदम उठा रही है, सहायता दे रही है, लेकिन यह कहते हुए दुख होता है, जितनी पीएचडी हुई, उसमें से कितने शोध कार्य समाज के उपयोग में आए, यह सोचने का समय है। शोध को हमने मैकेनिकल प्रक्रिया बना दिया है। हमें शोध को समाज उपयोग में लाने की कोशिश करनी चाहिए।
ईमानदारी, मूल्यनिष्ठा के गुण अहम: पानशेरिया
शिक्षाराज्य मंत्री प्रफुल पानशेरिया ने विद्यार्थियों से कहा कि डिग्री प्राप्त करने के साथ विवेक, ईमानदारी, और मूल्यनिष्ठा के गुणों को विकसित करें। ध्येयनिष्ठा, तेजस्विता और पराक्रम की वृत्ति वाले नचिकेता जैसे नवयुवकों की देश को आवश्यकता है। यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष जगदीश कुमार ने नचिकेता, भगीरथ का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों से कहा कि सीखना अभी बंद नहीं हुआ है। निरंतर पढ़ते रहें। अपने ज्ञान का उपयोग देश के समावेशी विकास में करें।
पल्लवी गुप्ते को समरसता अवार्ड
विवि की कुलपति डॉ.अमी उपाध्याय ने इस वर्ष से डॉ.बाबा साहेब आंबेडकर समरसता पुरस्कार देने की घोषणा की। पहला अवार्ड सामाजिक समरसता और महिला सशक्तीकरण में काम करने वाली पल्लवी गुप्ते को दिया गया। विवि के पाटण प्रादेशिक केन्द्र को श्रेष्ठ प्रादेशिक केन्द्र का अवार्ड प्रदान किया गया। विवि के कुलसचिव डॉ.अजय सिंह जाडेजा ने आभार ज्ञापित किया।