क्या है संकट की वजह?
पाकिस्तान के निजी टूर ऑपरेटरों और धार्मिक मामलों के मंत्रालय की नाकामी को इस संकट का प्रमुख कारण बताया जा रहा है। टूर ऑपरेटरों ने समय पर हज कोटा आवेदन प्रक्रिया पूरी नहीं की, जिसके चलते सऊदी अरब ने इन हज यात्रियों को कोटा आवंटित नहीं किया। सऊदी सरकार ने फिलहाल फंसे हुए
फंड को रिफंड करने से इनकार कर दिया है और कहा है कि इसे अगले साल की हज यात्रा के लिए समायोजित किया जा सकता है। इससे हज यात्रियों में भारी नाराजगी है, क्योंकि उनकी जीवनभर की जमा-पूंजी दांव पर लग गई है।
आर्थिक संकट ने बढ़ाई मुश्किल
पाकिस्तान पहले से ही गंभीर आर्थिक
संकट से जूझ रहा है। महंगाई, रुपये की गिरती कीमत और विदेशी मुद्रा भंडार में कमी ने हज यात्रा को और महंगा बना दिया है। एक डॉलर के लिए 283 पाकिस्तानी रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं, जिससे हज यात्रा का खर्च आम लोगों की पहुंच से बाहर होता जा रहा है। इस स्थिति में फंसे हुए फंड ने हज यात्रियों की परेशानी को और बढ़ा दिया है।
हज यात्रियों में रोष, सरकार पर सवाल
पाकिस्तान के हज यात्रियों ने सरकार और टूर ऑपरेटरों के खिलाफ गुस्सा जाहिर किया है। कई लोगों का कहना है कि उन्होंने हज के सपने को पूरा करने के लिए अपनी जिंदगी की कमाई लगा दी, लेकिन अब न तो यात्रा संभव है और न ही उनके पैसे वापस मिल रहे हैं। विपक्षी दलों ने सरकार पर धार्मिक मामलों के मंत्रालय की नाकामी का आरोप लगाया है और इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है।
सऊदी अरब का रुख
सऊदी अरब ने स्पष्ट किया है कि कोटा आवंटन में किसी तरह की ढील नहीं दी जाएगी, क्योंकि हज यात्रा की तैयारियां पहले से तय समय पर पूरी करनी होती हैं। सऊदी सरकार ने यह भी चेतावनी दी थी कि हज और उमराह वीजा का दुरुपयोग, जैसे कि भीख मांगने के लिए इसका इस्तेमाल, रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
मामले को लेकर चर्चा जारी
पाकिस्तान सरकार अब सऊदी अधिकारियों के साथ बातचीत कर इस मसले को सुलझाने की कोशिश कर रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है। तीर्थयात्रियों को अगले साल तक इंतजार करने या कानूनी कार्रवाई का रास्ता अपनाने की सलाह दी जा रही है। इस घटना ने पाकिस्तान में हज प्रबंधन की खामियों को उजागर कर दिया है और सरकार पर तीर्थयात्रियों के हितों की रक्षा के लिए दबाव बढ़ गया है।