15 दिन पहले हुए थे बीमार परंपराओ के अनुसार 15 दिन पहले भक्तों के द्वारा कराए गए जलाभिषेक से भगवान् जगन्नाथ बीमार हुए थे। उनके बीमार होने के बाद 15 दिन के लिए अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर के पट आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए गए थे। उन्हें इन 15 दिनों तक उन्हें काढ़ा दिया गया। 15 दिन बाद भगवान जगन्नाथ स्वास्थ्य हुए तो 3 बजे मंदिर का कपाट खोला गया।
पुष्प से हुआ भव्य शृंगार बीमार होने के बाद 15 दिन अज्ञातवास पर रहे भगवान जगन्नाथ के स्वस्थ होने के बाद सोमवार को उन्हें प्रथम पथ्य के रूप में परवल के जूस का भोग अर्पित किया गया। फिर केशरयुक्त चंदन, इत्र और पुष्प से भव्य शृंगार के बाद कपूर, घी के दीपक और अगरबत्ती संग आरती उतारी गई। दोपहर करीब तीन बजे अस्सी स्थित जगन्नाथ मंदिर का पट खुलते ही दर्शन-पूजन के लिए अपार भक्त समूह उमड़ पड़ा। महिलाओं ने सोहर और मंगल गीत गाए। विभोर मन से ठुमके भी लगाए। इसके बाद प्रभु जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भइया बलभद्र के विग्रहों को विधिविधान से डोली में विराजमान कराया गया और पालकी यात्रा शुरू हुई।
उमड़ी समूची काशी जग के पालनहार भगवान् जगन्नाथ की पालकी यात्रा में मानो समूची काशी उमड़ पड़ी थी। पालकी पर सवार भगवान जगन्नाथ, भाई भलभद्र और बहन सुभद्रा की एक झलक पाने के लिए लोग बेचैन दिखे। उनकी नयनाभिराम झांकी दिल में बसाने के लिए भक्तों में होड़ मची हुई थी। रास्ते भर भक्तों ने पालकी पर फूल बरसाए और गेंदे और भगवान् जगन्नाथ की अतिप्रिय तुलसी की माला से पूजा की।
द्वारकाधीशपीठ पर हुई परछन की रस्म ढोल-ताशा, बैंड-बाजा और शहनाई की धुन के बीच श्रद्धालुओं के जयकारे से वातावरण भक्तिमय हो उठा। डमरूदल ने भी पूरे रास्ते समां बांध दिया था। अस्सी, नवाबगंज होते खोजवा पहुंचने पर राम जानकी मंदिर के पुजारियों ने भगवान की आरती उतारी। शंकुलधारा में द्वारिकाधीशपीठ पर पालकी थोड़ी देर के लिए रुकी जहां परछन की रस्म निभाई गई। विनायका, बैजनत्था, कमच्छा चुंगी होते यात्रा रथयात्रा स्थित बेनीराम बाग पहुंची।
कल से शुरू होगा काशी का लक्खा मेला रथयात्रा सोमवार की शाम रथयात्रा पहुंचे जगन्नाथ प्रभु समेत तीनों देव विग्रहों को परंपरा के अनुसार 14 पहिए व 20 फीट चौड़े व 18 फीट ऊंचे अष्टकोणीय रथ पर मध्यरात्रि में विराजमान कराया जाएगा। ससुराल में प्रथम दिनी शृंगार के क्रम में भगवान जगन्नाथ, अग्रज बलभद्र व बहन सुभद्रा को पीतांबर धारण कराया जाएगा। विभिन्न प्रकार के पीले फूलों से शृंगार कर झांकी सजाई जाएगी। ततपश्चात शनिवार की भोर में चार बजे पुजारी द्वारा भगवान गणपति देव व शालिग्राम की पूजा-अर्चना और तीनों विग्रहों का विशेष पूजन-अनुष्ठान किया जाएगा। शुभ मुहूर्त में मंगला आरती के बाद भक्तों के दर्शन के लिए कपाट खोल दिए जाएगा। इसी के साथ लक्खा मेले में शुमार रथयात्रा मेला प्रारंभ हो जाएगा।