मौसम वैज्ञानिक ने क्या कहा ?
IMD के प्रमुख मृत्यंजय महापात्रा ने कहा कि इस बार मानसून सबसे ज्यादा समय तक रहेगा। इस दौरान अल नीनो जैसे भी स्थिति नहीं होगी। भारत में अल नीनो के कारण ही मानसून कमजोर पड़ता है और सूखा पड़ता है। इस बार उत्तर प्रदेश में मानसून चार महीने यानी जून से सितंबर तक रहेगा और संभावना से अधिक बारिश होगी। 87 सेंटीमीटर के दीर्घकालिक औसत का 105 फीसदी होने के आसार हैं।
किसान हो जाएं तैयार
आमतौर पर उत्तर प्रदेश में धान की रोपनी जून जुलाई में शुरू हो जाती है। इसके लिए एक महीने पहले से खेत को तैयार किया जाता है। धान की खेती करने वाले किसान इस बार थोड़ी जल्दी खेत तैयार करें और समय से धान का बीज डाल दें ताकि दूसरी बारिश होते ही आसानी से रोपनी शुरू की जा सके।
बारिश का जीडीपी से सीधा कनेक्शन
देश में बारिश का सीधा कनेक्शन जीडीपी से है। भारत एक कृषि प्रधान देश है और मानसून का सीधा असर खेती पर पड़ता है। मानसून अच्छा रहना खेती के लिए बहुत जरूरी है। भारत में लगभग 42.3 % आबादी खेती पर ही निर्भर है। खेती भारत के कुल GDP में 18.2% का योगदान करता है। भारत में लगभग 50% खेती बारिश पर निर्भर है।
कितनी बारिश होगी
IMD के मुताबिक, अगर चार महीने के मॉनसून सीजन में औसतन 87 सेंटीमीटर बारिश होती है और यह मात्रा 96% से 104% के बीच रहती है, तो इसे “सामान्य बारिश” माना जाता है। यह औसत पिछले 50 वर्षों के आंकड़ों पर आधारित है। साधारण भाषा में कहें तो, इस बार मॉनसून के अच्छे रहने की उम्मीद है। इससे किसानों को फायदा मिलेगा और पानी की किल्लत भी कम हो सकती है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसम में बदलाव आ सकते हैं, इसलिए हमें हमेशा सतर्क रहना होगा। बारिश हर साल एक जैसी नहीं होती, इसीलिए जरूरी है कि हम पानी का सोच-समझकर और सही तरीके से उपयोग करें।