तीन तरह की होती है भूमि
वास्तु विशेषज्ञ डॉ. अनीष व्यास के अनुसार भूमि की तीन तरह की अवस्थाएं होती हैं। जागृत अवस्था, सुप्त अवस्था और मृत अवस्था। भूमि की इन तीनों अवस्थाओं को आपकी जन्म कुंडली के ग्रहों के अनुसार देखा जाता है कि भूमि की अवस्था किस प्रकार की है। कई भूमि ऐसी भी होती है जो मृत होती है और फिर वह सुसुप्त होती है और बाद में जागृत हो जाती है। भूमि की इन अवस्थाओं का परीक्षण शनि व गुरु के गोचर के द्वारा देखा जाता है।
भूमि से जुड़े होते हैं अलग-अलग भाव
वास्तु विशेषज्ञ डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि प्रत्येक स्थान का वायुमंडल, वातावरण और मनोस्थिति से भी जुड़ा है। शास्त्रों में क्षेत्र शुद्धि को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। कुछ स्थान जैसे मंदिरों में भक्ति के परमाणु अधिक होते है, इसलिए वहां जाने से भक्ति जागृत होती है और मन शांत रहता है। कुछ स्थान ज्ञान-प्रधान होते हैं तो कुछ कर्म प्रधान कई जगह जाकर मन में दया भाव आ जाता है, तो कुछ स्थानों पर जाकर मन में वीरता के भाव जागृत होते हैं। मन में यह सभी भाव अलग-अलग भूमि के कारण ही जागृत होते हैं।
भूमि दोष वाले घर के लक्षण
डॉ. व्यास के अनुसार वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि भूमि में नकारात्मक ऊर्जा होने के बाद भी घर, ऑफिस आदि बनाने से घर वालों को आर्थिक हानि का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। भूमि की नकारात्मक ऊर्जा से व्यक्ति की नौकरी और व्यापार में बाधाएं आती हैं।ऐसे में भूमि की सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा की पहचान करना बहुत जरूरी है। आपने कई लोगों को कहते हुए सुना होगा कि किसी विशेष जगह पर जाते ही उनक साथ कोई विचित्र घटनाएं घटने लगीं या फिर किसी नए घर में जाते ही उनके जीवन में समस्याएं शुरू हो गईं। वास्तु शास्त्र के अनुसार इसका एक कारण भूमि दोष होना होता है।

भूमि दोष से घर में अशांति
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास के अनुसार वास्तु शास्त्र में कई तरह के वास्तु दोष का जिक्र हैं। उन्हीं में एक होता है भूमि दोष और इस दोष को पहचान पाना भी एक मुश्किल काम होता है, क्योंकि इस दोष की जांच करना आसान नहीं होता है। आपके जीवन में कोई न कोई परेशानी आती रहती है। इन समस्याओं में घर में होने वाले लड़ाई-झगड़े, दुर्घटनाएं, बीमारियां शामिल हैं। कभी-कभी बहुत वर्षों तक भूमि को ऐसे ही सुनसान छोड़ देने पर उसमें नकारात्मक शक्ति भर जाती है।
