Ambedkar Jayanti: ‘जय भीम पदयात्रा” को मिली उच्च शिक्षा मंत्री की हरी झंडी, संविधान और समरसता के संदेश से गूंजा लखनऊ
Ambedkar Jayanti and Samvidhan Diwas: राजधानी लखनऊ में रविवार को सामाजिक समरसता और संवैधानिक मूल्यों की मशाल लेकर निकली ‘जय भीम पदयात्रा’ ने नया इतिहास रचा। उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने मरीन ड्राइव से हरी झंडी दिखाकर यात्रा की शुरुआत की और युवाओं के साथ मिलकर संविधान की प्रस्तावना का वाचन किया।
Ambedkar Jayanti in Lucknow: राजधानी लखनऊ में रविवार को एक विशेष सामाजिक संदेश के साथ निकली राज्य स्तरीय “जय भीम पदयात्रा” ने न केवल संविधान के मूल्यों को दोहराया बल्कि युवाओं के भीतर सामाजिक न्याय, समानता और बंधुत्व की भावना को और भी गहरा किया। कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने मरीन ड्राइव चौराहा से हरी झंडी दिखाकर किया।
पदयात्रा की शुरुआत सामाजिक परिवर्तन प्रतीक स्थल पर डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि और मौन श्रद्धांजलि से हुई। इसके पश्चात उपस्थित युवाओं और गणमान्य नागरिकों के साथ मिलकर मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ किया, जिससे संविधानिक चेतना का प्रसार हुआ।
सामाजिक समरसता का उद्घोष
मंत्री उपाध्याय ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा,”डॉ. अंबेडकर ने जो संविधान रचा, वह सिर्फ कानून नहीं बल्कि सामाजिक क्रांति का दस्तावेज है।” उन्होंने बताया कि बाबा साहब ने जिन मूलभूत अधिकारों और सामाजिक समानता की बात की थी, वे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। “शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो” का मंत्र आज के युग में युवाओं का पथ प्रदर्शक बन सकता है।
यह पदयात्रा भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय की संस्था ‘MY भारत’, नेहरू युवा केंद्र संगठन, और राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई थी। इसका उद्देश्य युवाओं में संवैधानिक मूल्यों की समझ, सामाजिक समानता का भाव और लोकतांत्रिक चेतना का विस्तार करना था।
युवाओं में जोश और ऊर्जा
यात्रा के दौरान युवाओं ने “जय भीम”, “संविधान जिंदाबाद”, “भारत माता की जय”, और “वंदे मातरम” जैसे नारों से राजधानी की सड़कों को गुंजायमान कर दिया। युवाओं के हाथों में तिरंगा, संविधान की प्रति, और बाबा साहब के चित्र थे। यह दृश्य एकता, चेतना और समरसता की जीवंत झलक थी। योगेन्द्र उपाध्याय ने यह भी कहा कि “देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डॉ. अंबेडकर के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। ‘जय भीम पदयात्रा’ सिर्फ कार्यक्रम नहीं, बल्कि युवा जागरूकता का मिशन है।” उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे जाति, धर्म, भाषा जैसे भेदभाव से ऊपर उठकर एकजुट भारत के निर्माण में अपना योगदान दें।
यात्रा का हर कदम संविधान के मूल्यों की याद दिलाता रहा। मार्ग में युवाओं को बताया गया कि किस प्रकार डॉ. अंबेडकर ने न केवल समाज के पिछड़े वर्गों के अधिकारों की बात की, बल्कि समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व जैसे मूल्यों को हर भारतीय की पहचान बनाया।
यात्रा का समापन
यात्रा का समापन अंबेडकर स्मृति स्थल पर हुआ जहां युवाओं ने संविधान के प्रति अपनी निष्ठा और डॉ. अंबेडकर के विचारों के प्रति सम्मान व्यक्त किया। आयोजन के अंत में युवाओं ने एक संकल्प लिया – “हम संविधान के आदर्शों पर चलेंगे और सामाजिक न्याय को जीवन का आधार बनाएंगे।”