scriptHealth: गर्भ में शिशु की किडनियों में सूजन: क्या है हाइड्रोनेफ्रोसिस और कैसे करें इलाज: संदीप कुमार सिन्हा | Health: Fetal Hydronephrosis: Causes, Diagnosis, and Treatment Explained | Patrika News
यूपी न्यूज

Health: गर्भ में शिशु की किडनियों में सूजन: क्या है हाइड्रोनेफ्रोसिस और कैसे करें इलाज: संदीप कुमार सिन्हा

Kidney Problem: गर्भ में एम्नियोटिक फ्ल्यूड की मात्रा कम होना शिशु की किडनियों की कार्यप्रणाली में समस्या का संकेत

लखनऊMar 25, 2025 / 03:14 pm

Ritesh Singh

विशेषज्ञों की राय: चिंता नहीं, जागरूकता जरूरी

विशेषज्ञों की राय: चिंता नहीं, जागरूकता जरूरी

Fetal Kidney Swelling: लखनऊ की रहने वाली रितु गुप्ता 28 सप्ताह की गर्भवती थीं। जब उन्होंने प्री-नेटल अल्ट्रासाउंड कराया तो पता चला कि उनके गर्भस्थ शिशु को फीटल हाइड्रोनेफ्रोसिस यानी एंटी-नेटल रीनल स्वेलिंग है। यह सुनकर परिवार चिंतित हो गया क्योंकि रितु शादी के 10 साल बाद गर्भवती हुई थीं और किसी भी प्रकार की जटिलता परिवार के लिए परेशानी का कारण बन सकती थी।
यह भी पढ़ें

आवेदक घर बैठे करें फेसलेस सुविधाओं का आवेदन: आरटीओ 

उनके किसी परिचित ने उन्हें मेदांता हॉस्पिटल के पीडिएट्रिक सर्जरी एंड पीडिएट्रिक यूरोलॉजी के निदेशक डॉ. संदीप कुमार सिन्हा से परामर्श लेने की सलाह दी। काउंसलिंग के दौरान डॉ. सिन्हा ने उन्हें समझाया कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इस तरह के कई मामले देखने को मिलते हैं, और आधुनिक अल्ट्रासाउंड तकनीक की मदद से अब गर्भस्थ शिशु की किडनियों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस स्थिति में सबसे पहले गर्भावस्था के दौरान नियमित अल्ट्रासाउंड किया जाता है और बच्चे के जन्म के बाद आवश्यक परीक्षण किए जाते हैं।
यह भी पढ़ें

राज्य कर विभाग में काम का बोझ बढ़ा, संसाधनों की कमी से अधिकारी परेशा

हाइड्रोनेफ्रोसिस क्या है

हाइड्रोनेफ्रोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें किडनी में यूरिन जमा होने के कारण सूजन आ जाती है। यह समस्या या तो जन्म से पहले विकसित हो सकती है या जन्म के बाद पाई जा सकती है।
Pregnancy Health

हाइड्रोनेफ्रोसिस के संभावित कारण

  • किडनी में ब्लॉकेज – यूरिन के बहाव में रुकावट
  • रीफ्लक्स – जब यूरिन मूत्राशय से वापस किडनी में चला जाता है
  • एम्नियोटिक फ्लूइड की असामान्य मात्रा
  • जेनेटिक कारण – माता-पिता के इतिहास में किडनी संबंधी विकार होना
  • अज्ञात कारण – कई मामलों में सटीक कारण स्पष्ट नहीं होता

बच्चे के जन्म के बाद जांचें

  • ऋतु के बच्चे के जन्म के बाद पहले ही सप्ताह में किडनी और ब्लैडर का अल्ट्रासाउंड कराया गया। बच्चे को यूरिनरी इंफेक्शन से बचाने के लिए एंटीबायोटिक्स के लो-डोज़ दिए गए। डॉक्टरों ने निम्नलिखित जांचों की सलाह दी:
  • ब्लैडर का एक्स-रे (MCU टेस्ट) – यह जांच यूरिन के बैकफ्लो की संभावना को देखने के लिए की जाती है।
  • रीनल स्कैन (DTPA/EC स्कैन) – इससे किडनी के कार्य को समझने में मदद मिलती है।
  • इन परीक्षणों के बाद डॉक्टरों ने पाया कि बच्चे की एक किडनी में यूरिन ट्रैप हो रहा था और ब्लॉकेज के कारण यूरिन धीमी गति से बाहर निकल रहा था। ऐसी स्थिति में सर्जरी की जरूरत पड़ती है।
यह भी पढ़ें

यूपी में सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ा बदलाव, अब हर काम ऑनलाइन

सर्जरी एवं उपचार

बच्चे की हालत को देखते हुए की-होल सर्जरी (मिनिमली इनवेसिव तकनीक) से उपचार किया गया। यह प्रक्रिया छोटे बच्चों और नवजात शिशुओं में सफलतापूर्वक की जाती है। लेप्रोस्कोपिक पायलोप्लास्टी नामक इस प्रक्रिया से ब्लॉकेज हटाकर यूरिन का प्रवाह सामान्य कर दिया गया। सर्जरी के कुछ समय बाद बच्चे की किडनी सामान्य रूप से कार्य करने लगी।

हाइपोस्पेडिया: एक अन्य नवजात समस्या

Pregnancy Health
एम्स में पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. प्रबुद्ध गोयल के अनुसार हाइपोस्पेडिया नवजात शिशुओं में एक सामान्य स्थिति है, जिसमें लिंग की यूरिनरी ओपनिंग सही स्थान पर नहीं होती।
डॉ. गोयल बताते हैं, “इसका उपचार स्थिति की गंभीरता पर निर्भर करता है। मामूली मामलों में कोई इलाज जरूरी नहीं होता, लेकिन गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।” सुधारात्मक सर्जरी 6 से 18 महीने की उम्र में की जाती है।
यह भी पढ़ें

UP में अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति, 232 से अधिक अपराधी ढेर, 12,000 गिरफ्तार

 

माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण सलाह

  • गर्भावस्था के दौरान नियमित अल्ट्रासाउंड करवाएं।
  • अगर बच्चे में हाइड्रोनेफ्रोसिस का संदेह हो, तो विशेषज्ञ से संपर्क करें।
  • बच्चे के जन्म के बाद पहले सप्ताह में किडनी एवं ब्लैडर की जांच अवश्य कराएं।
  • अगर सर्जरी की जरूरत हो, तो घबराने की बजाय डॉक्टर की सलाह लें।
  • हाइपोस्पेडिया के मामले में भी विशेषज्ञ से सलाह लें और आवश्यक हो तो सर्जरी करवाएं।
यह भी पढ़ें

उत्तर प्रदेश में उद्योग लगाने का सुनहरा मौका, 24 मार्च से 16 जिलों में मेगा ई-नीलामी

गर्भस्थ शिशु में हाइड्रोनेफ्रोसिस का पता चलने पर घबराने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि यह स्थिति कई मामलों में जन्म के बाद खुद ठीक हो जाती है। अगर समस्या गंभीर हो, तो मिनिमली इनवेसिव सर्जरी से इसका सफल इलाज संभव है। वहीं, हाइपोस्पेडिया जैसी स्थिति भी आम है और इसका उपचार सर्जरी से किया जा सकता है। माता-पिता को समय रहते उचित जांच और उपचार करवाकर अपने बच्चे के स्वस्थ भविष्य को सुनिश्चित करना चाहिए।
Pregnancy Health

Hindi News / UP News / Health: गर्भ में शिशु की किडनियों में सूजन: क्या है हाइड्रोनेफ्रोसिस और कैसे करें इलाज: संदीप कुमार सिन्हा

ट्रेंडिंग वीडियो