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समाजजनों ने बताया कि विभाजन के समय सिंधी समाजजन अलग-अलग जगह से आकर यहां बसे थे। वर्ष 1986 में परिवारों को बसाने के लिए प्रतापनगर क्षेत्र में 95 हजार 565 वर्ग गज जमीन आवंटित हुई थी। यहां बसने के लिए 1750 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन इनमें से 396 परिवार भूखंड से वंचित रह गए। समाजजन आज भी वंचित परिवारों के लिए पैरवी कर रहे हैं। समाजजनों का कहना है कि हाल ही कलक्टर ने 70 साल पुरानी समस्या का समाधान करते हुए सोसायटी भवन के पट्टे आवंटित किए। शीघ्र ही पुराने आवेदकों को भूखंड आवंटित करने चाहिए।
संवाद में उभर कर आए शहर के मुद्दे – शहर भिक्षावृत्ति मुक्त हो। प्रत्येक शनिवार को बच्चे व महिलाएं शनि देव के नाम पर भिक्षावृत्ति करते हैं। इससे पर्यटक के साथ आमजन भी परेशान होते हैं।
– शहर में संदिग्ध लोग दिन में रैकी कर, रात को दुकानों के ताले तोड़कर चोरियां करते हैं। सीसीटीवी में कैद होने के बावजूद पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पा रही है।
– गुजराती पर्यटक सर्वाधिक आते है, पुलिसकर्मी गुजरात का नम्बर देखकर गाडिय़ां रोकते हैं। पारस तिराहा, बलीचा व प्रतापनगर में गुजराती पर्यटकों की गाडिय़ां खड़ी नजर आती है। इससे पर्यटक परेशान होते हैं।