पहले नहीं होते थे ऐसे हमले
पहाड़ी क्षेत्र की ओर रहने वाले लोगों ने बताया कि वो पिछले कई साल से पहाड़ के निकट रहते हैं। मगर पहले पालतू पशुओं का ऐसा शिकार नहीं देखा है। श्वानों की ओर से जरूर बकरियों पर कभी कभार हमला होता था। मगर वो भी जरा सी आवाज पर भाग जाते थे। आए दिन रात को बाड़ों से मवेशियों के गायब होने को लेकर वो आश्चर्यचकित थे। मगर पिछले कुछ दिनों से पालतू पशुओं पर हमला हो रहा है। ऐसे में लोगों में भी दहशत का माहौल बना हुआ है, जिसके बारे में वन विभाग के अधिकारियों को भी अवगत करवाया गया है। मगर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।पदचिन्ह से पैंथर की आशंका
लोगों ने बताया कि बाड़े से निकालकर बछड़े को घसीटते हुए कांटों व झाड़ियों से होकर करीब पांच सौ मीटर की ऊंचाई पर ले जाना सियार व श्वान आदि के बस की बात नहीं है। बाड़े से घटनास्थल तक घसीटने आदि के निशान भी मिले हैं। वहीं बीच-बीच में पैंथर जैसे वन्यजीव के पदचिन्ह भी पाए गए हैं।पहले भी देख चुके लोग
बीसलपुर वन क्षेत्र में डेढ़ कांकरी, ज्वालामुखी मंदिर, शिलाबारी दह, बीसलपुर बांध सड़क मार्ग आदि जगहों पर ग्रामीणों ने पैंथर की हलचल देखी है, जबकि वन विभाग के अधिकारी वन क्षेत्र में पैंथर के होने से इंकार कर अपनी जिम्मेदारी से दूर भागते नजर आते हैं।इनका कहना है
वन नाके के निकट पहाड़ी क्षेत्र में पैंथर जैसे वन्य जीव की ओर से पालतू पशुओं का शिकार करने जैसा मामला जानकारी में आया है। जल्दी ही सीसीटीवी कैमरे लगाकर या अन्य उपकरणों से पत्ता लगाकर वन्य जीव को पकड़ने के लिए रेस्क्यू अभियान चलाने का प्रयास करेंगे, जिससे अन्य जनहानि से बचा जा सके।मारिया साइन, जिला उपवन संरक्षक टोंक