scriptRajasthan: भाजपा नेता पेड़ीवाल पर जानलेवा हमले के मामले में पूर्व MLA राठौड़ के पीए रहे जेपी समेत 3 आरोपी दोषमुक्त | In the case of murderous attack on BJP leader Pediwal, three accused including JP, PA of former MLA Rathore, were acquitted | Patrika News
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Rajasthan: भाजपा नेता पेड़ीवाल पर जानलेवा हमले के मामले में पूर्व MLA राठौड़ के पीए रहे जेपी समेत 3 आरोपी दोषमुक्त

– बीस साल पहले पेड़ीवाल के वृदांवन विहार में हुआ था यह हमला

श्री गंगानगरApr 18, 2025 / 12:40 pm

surender ojha

pediwal
श्रीगंगानगर. नगर परिषद के पूर्व सभापति और इलाके के भाजपा नेता महेश पेड़ीवाल पर जान लेवा हमला करने के मामले में अदालत ने पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह राठौड़ के निजी सहायक जेपी बसंल उर्फ जयप्रकाश बसंल व दो शूटरों को अभियोजन पक्ष के ठोस साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। यह निर्णय एडीजे कोर्ट संख्या दो के जज कमल लोहिया ने सुनाया। बचाव पक्ष के वकील एवं बार संघ के पूर्व अध्यक्ष श्रीराम वर्मा ने बताया कि 23 सितम्बर 2005 को वृदांवन विहार कॉलोनी में रहने वाले भाजपा नेता महेश पेड़ीवाल के घर पर हमला करने के मामले में जवाहरनगर पुलिस ने मामला दर्ज किया था।

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इसमें बताया गया कि पेडीवाल पर जयपुर के अजय उर्फ महावीर और बिरथलियांवाली गांव निवासी रामरतन दोनों शूटरों को तत्कालीन विधायक सुरेन्द्र सिंह राठौड़ के निजी सहायक जेपी बंसल उर्फ जयप्रकाश बसंल के कहने पर भेजा गया। आरोपी अजय ने 315 बोर पिस्तौल से फायर किया जिससे पेड़ीवाल की आंख डैमेज हो गई। इन शूटरों को मौके पर काबू किया गया। इस मामले में षडयंत्र रचने के आरोप में तत्कालीन विधायक सुरेन्द्र सिंह राठौड़ और उनके पीए जेपी बसंल को भी आरोपी मानते हुए अदालत में चालान पेश किया। इस मामले की जांच सीआईडी सीबी ने भी जांच की थी।

राठौड़ के निधन पर कार्रवाई ड्रॉप
इस विचाराधीन मामले के दौरान 14 जनवरी 2018 को पूर्व विधायक राठौड़ की मृत्यु हो गई थी, ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई ड्रॉप कर दी गई लेकिन आरोपी अजय उर्फ महावीर, रामरतन और जेपी बसंल के खिलाफ यह मामला जारी रहा। जांच एजेंसी ने इस प्रकरण का खुलासा किया था कि निजी सहायक अदालत ने दोनेां शूटरों को होटल खुराना में ठहराया था और हथियार के साथ हमला करने के लिए सुपारी दी थी। अदालत ने गुरुवार को 85 पृष्ठों के इस फैसले में अभियोजन की कहानी को सही नहीं माना।

बचाव पक्ष ने उठाई खामियां तो अदालत ने लगाई मुहर


बचाव पक्ष के वकील श्रीराम वर्मा ने बताया कि यह घटना मनघंडत थी। राजनीति से प्रेरित होकर इस विवाद को हमले का रुप दिया गया। पेड़ीवाल की आंख डैमेज की वजह पिस्तौल सेफायर होना बताई गई जबकि यह फायर हुआ ही नहीं था। ऑपरेशन के दौरान जिन्दा कारतूस मिलना बताया गया। आंख से लकड़ी का बुरादा निकला गया जबकि फायर होता तो यह लकड़ी का बुरादा नहीं आता। यहां तक कि फायर होने पर आंख, नाक, मुंह आदि किसी भी अंग की हडडी डैमेज या नुकसान नहीं हुआ, ऐसे में यह फायर की कहानी संदिग्ध हो गई। हमला होने के बाद पेड़ीवाल को सरकारी अस्पताल की इमरजेंसी ले जाने की बजाय प्राइवेट हॉस्पिटल में उपचार कराया गया। इमरजेंसी में प्राथमिक उपचार का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया।
जिस नेत्र रोग विशेषज्ञ सर्जन से उपचार कराना बताया गया, उस गवाह को पेश हीं किया। पेड़ीवाल के घर पर रात को यह घटना बताई गई जबकि लोगों की भीड़ के बारे में इतना बताया गया कि उस दिन श्राद्ध थे इसलिए लोग घर पर एकत्र हुए थे। जबकि श्राद्ध दिन में कराया जाता है। पेड़ीवाल ने खुद अपनी गवाही में स्वीकारा कि वह राठौड़ का स्पोर्टर था लेकिन राजनीति रंजिश की वजह का खुलासा नहीं कर पाया। पुलिस और पीडि़त पक्ष ने हथियारों के साथ शूटरों के घर पर हमला होने की कहानी बताई। लेकिन पिस्तौल बरामदगी के बाद इस प्रकरण में आरोपियों के खिलाफ आर्म्स एक्ट की धारा लगाने के लिए जिला मजिस्ट्रेट यानि जिला कलक्टर से अभियोजन की मंजूरी तक नहीं ली।

प्रदेश का सबसे चर्चित था यह प्रकरण
इलाके में पहली बार भाजपा की टिकट पर सुरेन्द्र सिंह राठौड़ वर्ष 2003 में विधायक बने थे। वर्ष 1993 में जनता दल की टिकट और वर्ष 1998 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुना लड़ा था लेकिन चुनाव हार गए थे। इलाके में भाजपा का खाता खोलने के लिए राठौड़ को 2003 में प्रत्याशी बनाया और जीते। चुनाव जीतने के बाद भाजपाइयों को उनका स्टाइल पसंद नहीं आया। ऐसे में विधायक और संगठन में दूरियां बनने लगी।
वर्ष 2005 में पेड़ीवाल पर हुए हमले के बाद तत्कालीन विधायक राठौड़ को षडयंत्र रचने का आरोपी मानते हुए जांच एजेसिंयों ने उनके खिलाफ साक्ष्य कसने लगी। राठौड़ ने अपने जीवनकाल के दौरान कई बार सार्वजनिक तौर पर इस हमले को राजनीतिक साजिश का हिस्सा बताया था। राठौड़ के पीए करीब डेढ़ साल तक भूमिगत रहा। यह प्रकरण पूरे प्रदेश का चर्चित रहा। राठौड का राजनीतिक सफर इस केस की वजह से खराब हो गया था।

एक ही गुरु के दो चेले थे राठौड़ और पेड़ीवाल
इलाके के जननायक पूर्व गृहमंत्री और विधायक रहे केदारनाथ शर्मा के दो चेले थे सुरेन्द्र सिंह राठौड़ और महेश पेड़ीवाल। शर्मा के देहांत के बाद वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में राठौड़ ने जनता दल और कांग्रेस से राधेश्याम गंगानगर व तत्कालीन सीएम भैंरोसिंह राठौड़ ने भाजपा से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में राधेश्याम जीते।
वर्ष 1998 में फिर चुनाव आए तो भाजपा ने पेडीवाल पर दाव खेला और राठौड़ निर्दलीय उम्मीदवार बने लेकिन यह मैदान फिर राधेश्याम ने जीत लिया। वर्ष 2003 में राठौड़ और पेड़ीवाल एक हुए और टिकट भाजपा ने राठौड़ को दी और वे यहां भाजपा से पहले विधायक बने। लेकिन चुनाव के उपरांत पेड़ीवाल समर्थकों और राठौड़ समर्थकों दूरियां बढ़ने लगी। इस प्रकरण से राठौड़ राजनीति से आऊट हो गए।

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