राठौड़ के निधन पर कार्रवाई ड्रॉप
इस विचाराधीन मामले के दौरान 14 जनवरी 2018 को पूर्व विधायक राठौड़ की मृत्यु हो गई थी, ऐसे में उनके खिलाफ कार्रवाई ड्रॉप कर दी गई लेकिन आरोपी अजय उर्फ महावीर, रामरतन और जेपी बसंल के खिलाफ यह मामला जारी रहा। जांच एजेंसी ने इस प्रकरण का खुलासा किया था कि निजी सहायक अदालत ने दोनेां शूटरों को होटल खुराना में ठहराया था और हथियार के साथ हमला करने के लिए सुपारी दी थी। अदालत ने गुरुवार को 85 पृष्ठों के इस फैसले में अभियोजन की कहानी को सही नहीं माना।
बचाव पक्ष ने उठाई खामियां तो अदालत ने लगाई मुहर
बचाव पक्ष के वकील श्रीराम वर्मा ने बताया कि यह घटना मनघंडत थी। राजनीति से प्रेरित होकर इस विवाद को हमले का रुप दिया गया। पेड़ीवाल की आंख डैमेज की वजह पिस्तौल सेफायर होना बताई गई जबकि यह फायर हुआ ही नहीं था। ऑपरेशन के दौरान जिन्दा कारतूस मिलना बताया गया। आंख से लकड़ी का बुरादा निकला गया जबकि फायर होता तो यह लकड़ी का बुरादा नहीं आता। यहां तक कि फायर होने पर आंख, नाक, मुंह आदि किसी भी अंग की हडडी डैमेज या नुकसान नहीं हुआ, ऐसे में यह फायर की कहानी संदिग्ध हो गई। हमला होने के बाद पेड़ीवाल को सरकारी अस्पताल की इमरजेंसी ले जाने की बजाय प्राइवेट हॉस्पिटल में उपचार कराया गया। इमरजेंसी में प्राथमिक उपचार का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया।
प्रदेश का सबसे चर्चित था यह प्रकरण
इलाके में पहली बार भाजपा की टिकट पर सुरेन्द्र सिंह राठौड़ वर्ष 2003 में विधायक बने थे। वर्ष 1993 में जनता दल की टिकट और वर्ष 1998 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुना लड़ा था लेकिन चुनाव हार गए थे। इलाके में भाजपा का खाता खोलने के लिए राठौड़ को 2003 में प्रत्याशी बनाया और जीते। चुनाव जीतने के बाद भाजपाइयों को उनका स्टाइल पसंद नहीं आया। ऐसे में विधायक और संगठन में दूरियां बनने लगी।
एक ही गुरु के दो चेले थे राठौड़ और पेड़ीवाल
इलाके के जननायक पूर्व गृहमंत्री और विधायक रहे केदारनाथ शर्मा के दो चेले थे सुरेन्द्र सिंह राठौड़ और महेश पेड़ीवाल। शर्मा के देहांत के बाद वर्ष 1993 के विधानसभा चुनाव में राठौड़ ने जनता दल और कांग्रेस से राधेश्याम गंगानगर व तत्कालीन सीएम भैंरोसिंह राठौड़ ने भाजपा से चुनाव लड़ा। इस चुनाव में राधेश्याम जीते।