scriptवीसाराम 12 वर्ष पहले गंवा चुका था आंखों की रोशनी, अब कालू महाराज की वजह से हो पाया यह ‘चमत्कार’ | Visaram had lost his eyesight 12 years ago, now his eyesight has returned | Patrika News
सिरोही

वीसाराम 12 वर्ष पहले गंवा चुका था आंखों की रोशनी, अब कालू महाराज की वजह से हो पाया यह ‘चमत्कार’

वीसाराम ने बताया कि उसकी आंख का ऑपरेशन सफलता पूर्वक हुआ है। पहले कुछ भी दिखाई नहीं देता था, लेकिन अब दिखाई दे रहा है और धीरे-धीरे आंख की रोशनी बढ़ रही है।

सिरोहीMar 23, 2025 / 03:20 pm

Santosh Trivedi

visaram

पोसालिया. नैत्र मरीज विसाराम,कालू महाराज प्रजापत और मरीज माता चंपादेवी।

पोसालिया कस्बे के वीसाराम मेघवाल की नेत्र रोग की वजह से करीब बारह वर्ष पूर्व युवावस्था में ही आंखों की रोशनी चली गई थी। कालू महाराज व सेवा परमो धर्म संस्था के सहयोग से कॉर्निया प्रत्यारोपण से उसकी दुनिया वापस से रोशन हो पाई है।
वीसाराम की मां चंपा देवी ने बताया कि करीब 12 वर्ष पूर्व वीसाराम की आंखों में इन्फेक्शन हुआ था। एक साल तक इलाज चला, फिर भी आंखों की रोशनी चली गई। इस पर पास में रहने वाले कालू महाराज प्रजापत सेवा परमो धर्म की ओर से आयोजित नि:शुल्क नेत्र चिकित्सा शिविर में शिवगंज में लेकर गए।
शिविर में तारा संस्थान उदयपुर के नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों ने वीसाराम के आंखों की जांच कर बताया कि कॉर्निया खराब होने से आंखों की रोशनी गई है। उन्होंने अन्यत्र उपचार करवाने की सलाह दी। जिस पर कालू महाराज व परमो धर्म सेवा धर्म संस्था के सहयोग से अहमदाबाद के एक अस्पताल में उसकी जांच करवाई।
जहां चिकित्सकों ने बताया कि मरीज को किसी व्यक्ति की ओर से नेत्रदान की हुई आंख का प्रत्यारोपण ही एकमात्र इलाज है। जिसमें 80 से 90 हजार रुपए खर्च होंगे। मरीज की आर्थिक स्थिति कमजोर होने से कालू महाराज व परमो धर्म सेवा संस्था कार्यकर्ताओं ने यह काम हाथ में लिया तथा भामाशाहों के सहयोग से रजिस्ट्रेशन शुल्क अस्पताल में जमा करवा कर बुकिंग करवाई। नेत्रदान से आंख मिलने पर चिकित्सालय ने मरीज को अहमदाबाद बुलाया व नेत्र प्रत्यारोपण कर उन्हें नेत्र ज्योति दिलाई।
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वीसाराम ने बताया कि उसकी आंख का ऑपरेशन सफलता पूर्वक हुआ है। पहले कुछ भी दिखाई नहीं देता था, लेकिन अब दिखाई दे रहा है और धीरे-धीरे आंख की रोशनी बढ़ रही है। इस नेक कार्य में भामाशाह कन्हैयालाल प्रजापति, शैलेश कुमार, प्रमोद कुमार, शांतिलाल, धीरज सिंघवी, अनिल सुराणा, चंपालाल जैन, सेवा परमोधर्म के सदस्य दुदाराम, मदन परिहार, विष्णु अग्रवाल, नंदू सोनी, राजेंद्र कुमार अग्रवाल, देवकिशन सोनी, मंसाराम कुमावत का सहयोग रहा।

नेत्रदान से दो लोगों का जीवन हो सकता है रोशन

कालू महाराज ने बताया कि आमतौर पर किसी का सामान्य मौत या हादसे में निधन होने पर साधारण रूप से परिजन व्यक्ति का अंतिम संस्कार कर देते हैं, अगर नेत्रदान करवाया जाए तो उनके इस नेक कार्य से दो लोगों का जीवन रोशन हो सकता है। नेत्रदान करने वाले व्यक्ति के चश्मा लगता है या मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ है, तब भी वह नेत्रदान कर सकता है।

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