राज्यपाल व महामंडलेश्वर ने शेखावाटी को सराहा
राज्यपाल ने शेखावाटी को भामाशाहों,वीरों, उद्यमियों, शिक्षाविदों व वैज्ञानिकों की धरती कहा। कैलाशानंद गिरी ने कहा कि शेखावाटी वीरों का इतिहास रहा है। यहां की संस्कृति, कलाकृति, व्यंजन, भोजन, भाषा, व्यवहार, चरित्र व निरुपण का अभ्यास पूरी दुनिया में मिसाल है। समारोह में वीसी प्रो. अनिलकुमार राय ने विश्वविद्याय की उपलब्धियां बताई। कुलसचिव श्वेता यादव ने आभार जताया।
श्रीमाधोपुर के कृपाल सिंह का किया जिक्र
राज्यपाल ने संविधान की मूल प्रति के चित्रों का जिक्र करते हुए श्रीमाधोपुर के मउ निवासी पद्मश्री कृपालसिंह शेखावत को भी याद किया। उन्होंने कहा कि मूल प्रति में हड़प्पा के नंदी जैसे चित्र राजस्थान के ही ब्यावर निवासी राममनोहर सिन्हा व कृपाल सिंह शेखावत ने बनाए थे। हालांकि कृपाल सिंह के सीकर के ही होने की जानकारी नहीं होने पर उन्होंने कहा कि कृपाल सिंह शेखावाटी के ही किसी क्षेत्र के थे।
उद्घाटन व सम्मान
दीक्षांत समारोह से पहले राज्यपाल बागड़े ने विवि के अतिथि गृह व ई-लाइब्रेरी का उद्घाटन कर शहीद प्रदर्शनी व स्टॉलों का निरीक्षण किया। शाम को आयोजित कार्यक्रम में स्वामी ओमदास महाराज, डा. ग्यारसीलाल जाट व राजीव के पोद्दार को शेखावाटी शिरोमणि तथा भरत हरदत्तराय बियाणी, मदनसिंह काजला, कैलाश तिवाड़ी, छोगालाल सैनी, तंवरसिंह राठौड़, कानसिंह निर्वाण, विनोद भारती, महेशकुमार शर्मा, चरण सिंह व कमलेश पारीक को शेखावाटी भूषण सम्मान से नवाजा गया।
एसएफआई कार्यकर्ताओं ने की नारेबाजी, पुलिस ने की पिटाई
दीक्षांत समारोह में एसएफआई कार्यकर्ताओं ने बीच समारोह विरोध प्रदर्शन कर दिया। स्वामी कैलाशानंद गिरि का संबोधन होते ही चार कार्यकर्ताओं ने समारेाह स्थल पर नारेबाजी का प्रयास किया। तभी पास मौजूद पुलिसकर्मी उनका मुंह बंद कर बाहर ले गए। वहां भी नारे लगाए तो पुलिस पीटते हुए उन्हें गाड़ी में बिठाकर साथ ले गई। गौरतलब है कि दीक्षांत समारोह में स्वामी कैलाशानंद गिरि को मुख्य अतिथि बनाने का एसएफआई शुरू से विरोध कर रही थी। विश्वविद्यालय का भगवाकरण करने का आरोप लगाते हुए कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को भी प्रदेशाध्यक्ष सुभाष जाखड़ की अगुआई में विश्वविद्यालय में आरएसएस का पुतला जलाकर आक्रोश जताया था।