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CBSE स्कूलों में लंच के अलावा दिया जाएगा एक और ब्रेक, बैगलेस डे की शुरू होगी पहल

CBSE schools: नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सीबीएसई ने स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों के ब्रेक टाइम में भी महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। यह बदलाव कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के लिए किए गए है।

सिवनीApr 07, 2025 / 02:29 pm

Akash Dewani

10 minute snack break before lunch break is given in CBSE schools in mp according to new National Education Policy
CBSE schools: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने स्कूलों में कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के छात्रों को दो पीरियड के बाद 10 मिनट का स्नैक्स ब्रेक और इसके दो पीरियड बाद 20 मिनट का लंच ब्रेक दिया जा रहा है। पहले स्कूलों में केवल 30 मिनट का लंच ब्रेक होता था, लेकिन अब बच्चों की एकाग्रता और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए ब्रेक्स को दो हिस्सों में बांटा गया है। इस बदलाव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों की पढ़ाई से तालमेल बना रहे और वे मानसिक रूप से थकान महसूस न करें। छोटे ब्रेक्स के माध्यम से छात्र तरोताजा रहकर पढ़ाई में अधिक ध्यान केंद्रित कर सकें, यही इस योजना की मूल भावना है।

बैगलेस डे की पहल

सीबीएसई ने नई गाइडलाइन के तहत ‘बैगलेस डेज़’ की शुरुआत की है। इसके तहत छात्रों को हर साल कम से कम 10 दिन स्कूल में बैग लाना अनिवार्य नहीं होगा। इन दिनों को छात्रों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित किया गया है। इस दिन विद्यार्थियों को केवल पढ़ाई तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि उन्हें शारीरिक, मानसिक, रचनात्मक और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने का अवसर मिलेगा। स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन बैगलेस डेज़ पर छात्रों के लिए कार्यशालाएं, परियोजनाएं, कला और शिल्प, खेल, संगीत, नाटक जैसी गतिविधियों का आयोजन करें। इन गतिविधियों से छात्रों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे अपने भीतर की छिपी प्रतिभाओं को निखार सकेंगे।
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अब 10वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार

नई शिक्षा नीति के तहत सीबीएसई ने कक्षा 10वीं के छात्रों के लिए एक और बड़ा बदलाव किया है। अब बोर्ड परीक्षा साल में दो बार आयोजित की जाएगी – पहली परीक्षा फरवरी में और दूसरी अप्रैल में। इसका उद्देश्य यह है कि यदि कोई छात्र पहली परीक्षा में असफल होता है या अपने प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं होता, तो वह अप्रैल में आयोजित दूसरी परीक्षा में शामिल होकर अपना प्रदर्शन सुधार सकता है। इस प्रणाली से छात्रों पर पढ़ाई का अनावश्यक दबाव कम होगा और उन्हें अपनी गलतियों को सुधारने का तुरंत अवसर मिलेगा। हालांकि, कक्षा 12वीं की परीक्षा पहले की तरह साल में एक बार ही आयोजित की जाएगी, जिससे इंटरमीडिएट स्तर पर स्थिरता बनी रहे।

स्किल-बेस्ड एजुकेशन पर जोर

सीबीएसई द्वारा स्कूली शिक्षा में व्यावहारिक और भविष्योन्मुखी विषयों को शामिल कर स्किल-बेस्ड एजुकेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है। कक्षा 9वीं और 10वीं के विद्यार्थियों के लिए अब इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, कंप्यूटर एप्लीकेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों को पढ़ाई में शामिल किया गया है। इसके अलावा इन कक्षाओं में हिंदी या अंग्रेजी में से किसी एक भाषा का चयन अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि भाषा ज्ञान के साथ-साथ तकनीकी दक्षता भी विकसित हो सके। स्किल-बेस्ड विषयों के जुड़ने से छात्रों को तकनीकी दुनिया की बुनियादी समझ मिलेगी, जो आगे चलकर उनके करियर की दिशा तय कर सकती है।

कैलकुलेटर की अनुमति

सीबीएसई ने कक्षा 12वीं के छात्रों के लिए चार नए स्किल इलेक्टिव विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया है। इन विषयों में डिजाइन थिंकिंग एंड इनोवेशन, फिजिकल एक्टिविटी ट्रेनर, इलेक्ट्रॉनिक एंड हार्डवेयर और ट्रांसपोर्टेशन एसोसिएट शामिल हैं। इन विषयों के माध्यम से छात्र नई सोच, नवाचार, तकनीकी ज्ञान और व्यावसायिक स्किल्स विकसित कर सकेंगे। इसके अलावा 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में अब छात्रों को बेसिक कैलकुलेट के प्रयोग की अनुमति दी गई है। यह निर्णय जटिल गणनाओं को आसान बनाने और परीक्षाओं में अधिक सटीकता लाने के उद्देश्य से लिया गया है।

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