आगासौद चक्क स्कूल में कक्षा पांचवीं में 8 में से 4 और कक्षा आठवीं में 6 में से 4 बच्चों ने परीक्षा दी थी, लेकिन एक भी बच्चा यहां पास नहीं हुआ है। जबकि यहां चार स्थायी और एक अतिथि शिक्षक पदस्थ है। यहां पिछले वर्ष भी आठवीं का परीक्षा परिणाम शून्य रहा था। इसी तरह मंडीबामोरा स्कूल में कक्षा पांचवीं में 13 बच्चों ने परीक्षा दी थी, जिसमें एक भी पास नहीं हुआ है। यहां पिछले वर्ष भी एक भी बच्चा पास नहीं हुआ था। यह एककीकृत स्कूल होने से दो दर्जन शिक्षक पदस्थ हैं। इसके अलावा तजपुरा में एक, पहलेजपुर में दो और जाउखेड़ी में छह बच्चों ने पांचवीं की परीक्षा थी, जिसमें कोई पास नहीं हुआ है। कचनौदा में दो और उमरिया में एक बच्चा अध्ययनरत था, लेकिन परीक्षा नहीं दी, जिससे यहां भी शून्य परिणाम रहा। एक बच्चे पर एक शिक्षक पदस्थ होने के बाद भी यह स्थिति बनी हुई है।
शिक्षक करते हैं लापरवाही
ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में कई शिक्षक लापरवाही बरतते हैं और समय पर स्कूल नहीं पहुंचते हैं या फिर ताले ही नहीं खुलते हैं। इसके बाद भी ऐसे शिक्षकों पर कार्रवाई नहीं होती है और इसका असर परीक्षा परिणाम पर पड़ता है। यदि लगातार मॉनीटरिंग की जाए, तो व्यवस्था सुधर सकती है।
परीक्षा परिणाम में हुआ है सुधार
पिछले दो वर्षों की अपेक्षा इस वर्ष परीक्षा परिणाम में सुधार हुआ है। कुछ स्कूलों का परीक्षा परिणाम खराब है, जिसकी रिपोर्ट बनाकर वरिष्ठ अधिकारियों को भेजी जाएगी।
महेन्द्र सिंह, बीआरसीसी, बीना
फैक्ट फाइल
कक्षा प्रतिशत
वर्ष 2023-24
पांचवीं 68.38
आठवीं 51.64
वर्ष 2024-25
पांचवीं 80.98
आठवीं 80.21