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Hanuman Jayanti 2025 : फेसबुक-इंस्टा, रील के जमाने में भी हनुमान जी को जानना क्यों है जरूरी, जानिए

Shri Hanuman Janmotsav : श्री हनुमान जन्मोत्सव 2025 पर जानिए कैसे हनुमान जी का चरित्र आज फेसबुक-इंस्टा के तेज, तकनीकी और चुनौतीपूर्ण युग में युवाओं के लिए प्रेरणा है। बल, बुद्धि, भक्ति और चरित्र से जुड़ी शिक्षाएं पढ़ें।

भारतApr 12, 2025 / 11:29 am

Manoj Kumar

Hanuman Jayanti 2025 :

Hanuman Jayanti 2025 :

Hanuman Jayanti 2025 : आज का युवा तेज है, तकनीकी रूप से सक्षम है और सपनों से भरा हुआ है। लेकिन इस तेज रफ्तार जीवन में जब राहें भटकाने वाली हों और चुनौतियां बड़ी, तब उसे जिस प्रेरणा की सबसे ज़्यादा जरूरत है, वह श्रीहनुमान जी के चरित्र से मिलती है। श्रीहनुमान सिर्फ एक योद्धा ही नहीं हैं, बल्कि हर युवा के लिए रोल मॉडल हैं—जो यह सिखाते हैं कि बल, बुद्धि, भक्ति और चरित्र का संतुलन ही एक सशक्त, मर्यादित और सफल जीवन की कुंजी है। रामायण में वर्णित हनुमान जी का चरित्र एक ऐसी आलौकिक प्रेरणा है, जो आज के डिजिटल युग के युवा के लिए भी उतना ही प्रासंगिक है। वे वानरराज केसरी और अंजना के पुत्र हैं, पर उनका व्यक्तित्व केवल वानर योद्धा तक सीमित नहीं है। भगवान श्रीराम उन्हें विष्णु, इन्द्र और यमराज से भी श्रेष्ठ मानते हैं।

श्रीहनुमान: सिर्फ शक्ति के प्रतीक नहीं, संतुलन के स्तंभ

बल केवल मांसपेशियों की ताकत नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता और आत्मविश्वास भी है। आज का युवा अगर इस बल को केवल बॉडी बिल्डिंग तक सीमित न रखे और जीवन की चुनौतियों से लड़ने की मानसिक तैयारी करे, तो वह भी अपने भीतर एक श्रीहनुमान खोज सकता है। हनुमान जी ने समुद्र पार करते समय आने वाली हर बाधा—मैनाक पर्वत का विश्राम प्रस्ताव, सुरसा की परीक्षा या सिंहिका की चाल को विवेक और आत्मसंयम से पार किया। महर्षि अगस्त्य से वार्ता करते हुए प्रभु श्रीराम कहते हैं कि महर्षे ! यदि मुझे हनुमान जी का सहयोग नहीं मिलता तो जानकी का पता लगाने और उन्हें वापस पाने जैसे मेरे प्रयोजनों की सिद्धि कैसे हो सकती थी।

बल: मानसिक दृढ़ता ही असली ताकत है

बुद्धि की बात करें तो श्रीहनुमान जी की सबसे बड़ी खासियत यही थी कि वे सही समय पर सही निर्णय लेना जानते थे। जब लंका पहुंचकर उन्होंने पहली बार रावण के महल में स्त्रियों को देखा, तो पहले मन्दोदरी को सीता समझ बैठे। लेकिन अगले ही क्षण उन्होंने अपने विवेक से सोचा—जो स्त्री श्रीराम के वियोग में हो, वह अलंकरणों से सजी नहीं हो सकती। यही विश्लेषणात्मक सोच आज के युवाओं को भी चाहिए, जहां हर चीज दिखावे में लिपटी हो, वहां निर्णय चरित्र और सच्चाई के आधार पर लेने चाहिए। आज जब सोशल मीडिया पर हर क्षण ट्रैक होता है, कॅरियर और छवि के दबाव में लोग नैतिकता से समझौता कर लेते हैं, तब वे युवाओं को सिखाते हैं कि सच्ची शक्ति चरित्र में है-ताकतवर होकर भी नम्र बने रहना। विफलता के क्षणों में हार मानने के बजाय आत्ममूल्यांकन कर प्रयास करें।
युवाओं के लिए श्रीहनुमान का चरित्र एक संदेश है—कि जोश के साथ होश जरूरी है, लक्ष्य के साथ लगन ज़रूरी है और ताकत के साथ मर्यादा जरूरी है। श्री हनुमान का अनुसरण कर आज का युवा नई, सशक्त, नैतिक और विवेकशील पीढ़ी बना सकता है।
आचार्य मिथिलेश नंदिनीशरण
प्रमुख महंत
सिद्धपीठ श्रीहनुमन्निवास (अयोध्या)

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