Water Scarcity: गंगरेल बांध: 44 फीसदी ही जलभराव
प्रदेश के दूसरे सबसे बड़े बांध गंगरेल में तेजी से पानी कम हो रहा है। बांध में अभी कुल 17.033 टीएमसी पानी है। इसमें से 11.962 टीएमसी को ही उपयोगी जल माना जाता है। अभी गंगरेल से धमतरी जिले के 390 और रायपुर और बालौदाबाजार जिले के निस्तारी तालाबों को भरने के लिए 15 मार्च से पानी दिया जा रहा है।तांदुला जलाशय: 29 प्रतिशत पानी
दुर्ग संभाग के सबसे बड़े जलाशय तांदुला में सिर्फ 29.54 प्रतिशत पानी है। जबकि पिछले साल 11 अप्रैल को 35.69 प्रतिशत पानी था। तांदुला से भिलाई-दुर्ग, बालोद की प्यास बुझती है। बालोद स्थित खरखरा जलाशय में 28.31 प्रतिशत पानी बचा है। राजनांदगांव स्थित पिपरिया नाले में 59.79 फीसदी, कवर्धा स्थित सरोदा डैम में 53 फीसदी, भिलाई स्थित मरोदा डैम में 33 फीसदी पानी बचा है। जलाशयों में करीब 10 प्रतिशत पानी रिजर्व रहता है, जो निकल नहीं पाता है।Chhattisgarh News: मौसम की बेरुखी: बस्तर के जलाशयों का कंठ सूखा, 15 दिन में नहीं सुधरे हालात तो मचेगा हाहाकार
घुनघुट्टा बांध: 46 फीसदी बचा पानी
घुनघुट्टा डेम को अंबिकापुर का जीवनदाता कहा जाता है। इसी डेम से शहर में पानी की सप्लाई की जाती है। इस डेम में पानी की क्षमता 62.05 एमसीएम है। अभी की स्थिति में घुनघुट्टा डेम में 46 प्रतिशत पानी बचा हुआ है। जो कि 28.5 एमसीएम है। पिछले वर्ष भी लगभग यही स्थिति थी।बस्तर में हालात पिछले पांच सालों में सबसे खराब
बस्तर के कोसारटेडा जलाशय में पिछले पांच साल में सबसे कम पानी है। इसी वजह से अब कोसारटेड़ा जलाशय से पानी छोड़ना बंद कर दिया गया है।पानी वर्तमान में – 15.07 क्यूबिक घन मीटर
विगत वर्ष 2024 में – 29.21 क्यूबिक घन मीटर
बिलासपुर संभाग: खूंटाघाट में 37.78 जलभराव
- बिलासपुर संभाग के सबसे बड़े जलाशय अरपा भैंसाझार में 39 प्रतिशत पानी बचा है। जलाशय की क्षमता 12.10 मिलियन टन घनमीटर है।
- कोटा स्थित घोंघा जलाश में 38 फीसदी पानी बचा है। इसकी क्षमता 11.40 मिलियन घन मीटर है।
- रतनपुर स्थित खारंग (खूंटाघाट) जलाशय में भी 37.78 फीसदी पानी बचा है। पिछले साल 14 अप्रैल की स्थिति में इस जलाशय में 62 फीसदी जलभराव था।
Water Scarcity: ये भी जानें…
- भारत में कुछ ग्रामीण इलाकों में महिलाएं अपने सिर पर इतना पानी ढो लेती हैं जितना फ्लाइट्स में लगेज ले जाने की इजाजत नहीं होती।
- इस साल मार्च के अंतिम सप्ताह में ही भारत की प्रसिद्ध मीठे पानी की झील नैनी सूखने लगी। इसे ग्लोबल वार्मिंग का परिणाम बताया जा रहा।