CG Patrika News: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा की हम सनातनी परम्परा के लोग हैं। लेकिन अंग्रेजी शिक्षा पद्धति ने हमारी आत्मा को जकड़ लिया है। आज हमारी शिक्षा ज्ञान नहीं, नौकर बनाना सिखा रही है। नई शिक्षा नीति में यह प्रयास हो रहा है कि रोजगार के साथ-साथ संस्कार भी दिए जाएं। आज के वक्त में ये हमारी जिम्मेदारी भी है।
CG Patrika News: पत्रिका के संवाद मंच पर जुटे चिंतक
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने रविवार को पत्रिका के की-नोट संवाद कार्यक्रम में यह बात कही। की-नोट संवाद का विषय था ‘नए दौर की भागदौड़ में पीछे छूटते भारतीयता के संस्कार’।
पत्रिका के संस्थापक कर्पूरचंद्र कुलिशजी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में रायपुर के होटल बेबीलोन कैपिटल में हुए की-नोट संवाद में सभी मुख्य वक्ताओं के एक-एक शब्दों ने दिलों को छुआ, सोच को झकझोरा और भारतीय संस्कृति की ओर लौटने का आग्रह किया। मुख्य वक्ताओं ने अपने अनुभव, पीड़ा और दृष्टिकोण साझा करते हुए भारतीयता को पुनर्जीवित करने का आह्वान किया।
CG News: सीएम साय ने कहा…
मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं गुलाब कोठारी जी को बधाई देना चाहता हूं कि वे अपनी लेखनी के माध्यम से समाज को निरंतर सकारात्मक दिशा दे रहे हैं। पत्रिका समूह के दायित्वों के साथ-साथ वे जो समय निकाल रहे हैं, उसे सामाजिक चेतना के लिए समर्पित कर रहे हैं- यह अत्यंत सराहनीय है। उन्होंने कहा कि नए दौर की भागदौड़ में पीछे छूटते भारतीयता के संस्कारों के दौर में समाज को सकारात्मक दिशा देना अत्यंत आवश्यक है।
आज विदेशी हमारी संस्कृति से प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज हमारे परिवारों में एक गंभीर समस्या यह है कि हम बच्चों को मोबाइल थमा रहे हैं। मोबाइल में अच्छाई और बुराई दोनों हैं। हमें चाहिए कि हम उसमें से अच्छाई को चुनें- जैसे हंस दूध को ग्रहण करता है, वैसे ही हमें भी विवेकपूर्वक चयन करना चाहिए।
शिक्षा केवल पेट भरने का साधन न बने
कार्यक्रम में पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि शिक्षा अब केवल पेट भरने का जरिया बन गई है, संस्कार देने वाला कोई नहीं बचा। हम शरीर से जीते हैं, मन को भूले बैठे हैं। हमने 75 साल में भारतीय को अंग्रेज बना दिया। उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत को जीवित रखने की शक्ति केवल मां के पास है।
मां सूक्ष्म स्तर पर जीवन जीती है। मां शरीर नहीं, वह संस्कृति है। पुरुष बीज देता है, लेकिन पोषण मां से आता है। हर व्यक्ति में आधा पुरुष और आधी स्त्री होती है, लेकिन उसे बताया ही नहीं गया। हम केवल शरीर और बुद्धि के विकास में लगे हैं, लेकिन मन उपेक्षित है। मन का पोषण होगा तभी संस्कार बचेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि देश का निर्माण शिक्षा नहीं, मां करती है और मां को संस्कारों से पोषित करना होगा।
पत्रिका कुलिशजी की आत्मा है, कोठारीजी उसका विवेक
पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा ने स्व. कर्पूरचंद कुलिश को याद करते हुए कहा, पत्रिका आज जो है, वो कुलिशजी की निर्भीकता और संकल्प का परिणाम है। उन्होंने पत्रिका को संघर्षों के बीच स्थापित किया और आज गुलाब कोठारी उसी रास्ते पर भारतीय पत्रकारिता की मशाल थामे चल रहे हैं।
संवाद की सार्थकता
यह की-नोट संवाद एक विचार यात्रा था, जहां केवल समस्याएं नहीं बताई गईं, समाधान भी सुझाए गए।
मां-बाप बच्चों को किताब की तरह पढ़ते हैं लेकिन उनके पास वक्त नहीं होता।
हम सब विदेशी बनने को आतुर हैं, लेकिन अपनी जड़ों को सींचने को तैयार नहीं।
संवेदनाएं मरी नहीं हैं, बस नींद में हैं, उन्हें फिर से जगाना होगा।
इन्होंने किया संबोधित
संवाद कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, पत्रिका ग्रुप के प्रधान संपादक डॉ. गुलाब कोठारी, आईआईएम रायपुर के निदेशक प्रो. रामकुमार काकाणी, पद्मश्री फूलबासन बाई, पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा और एग्रोप्रेन्योर अपूर्वा त्रिपाठी ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन गौरव गिरिजा शुक्ला ने किया।
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