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Raipur News: 11वीं के छात्रों ने कोडिंग से तैयार किया केमिकल का नया फॉर्मूला, अब दवाइयां बनाना होगा और भी आसान प्रोग्राम में शामिल होने वाले सभी स्टार्टअप्स को मेंटरशिप देने के साथ ही जरूरत के हिसाब से उनकोे सहयोग किया जाएगा। सीईओ अभिजीत शर्मा ने बताया कि हम
स्टार्टअप्स के लिए मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर रहे हैं। हमारा मिशन छत्तीसगढ़ व देश के छात्रों और महत्वाकांक्षी उद्यमियों के बीच नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना है।
रायपुर आमासिवनी के रहने वाले अनिकेत टंडन पिछले दो सालों से आलू और मिलेट्स पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हम यम्मी नामक चिप्स बना रहे हैं, जिसमें हम कोई भी केमिकल या प्रिजरवटिव का उपयोग नहीं करते हैं। जो भी सामान का उपयोग करते हैं, सभी हैंडमेड होता है। वहीं, मिलेट्स के प्रोडक्ट को हैल्दी क्रंची के नाम से मार्केट में लाए हैं, जिसमें हम मिलेट्स के चिप्स, भेल बना रहे हैं।
हमारे प्रोडक्शन में केवल महिलाएं ही काम करतीं हैं। हम महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश के किसानों से आलू और मिलेट्स लेते हैं और प्रोडक्शन करते हैं। मैं किसान परिवार से हूं, शुरू से कुछ नया करना था। हेल्दी प्रोडक्ट की डिमांड को देखते हुए हमने यह स्टार्टअप शुरू किया। अभी राज्य के 1 हजार से ज्यादा आउटलेट्स में उत्पाद की आपूर्ति हो रही है। मैंने स्टार्टअप लोन लेकर शुरू किया। स्टार्टअप एस.के फूड्स में मेरे साथ सहबाज अंसारी काम कर रहे हैं।
स्टार्टअप को ये होगा फायदा संकाय प्रभारी डॉ अनुज कुमार शुक्ला ने बताया कि इनक्यूबेशन प्रोग्राम में शामिल हुए स्टार्टअप्स को उद्योग से जुड़ी सभी तरह की जानकारी दी जाएगी। स्टार्टअप को अनुभवी उद्यमियों, निवेशकों और उद्योग विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त होगा। अलग-अलग कार्यक्रम के जरिए नेटवर्किंग के अवसर भी दिए जाएंगे, ताकि स्टार्टअप को अपने व्यवसाय मॉडल को बेहतर बनाने और प्रभावी ढंग से आगे बढ़ने में मदद मिल सके। प्रोेडक्ट डेवलप के लिए लैब की फैसिलिटी, फंडिंग, को वर्किंग स्पेेस जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी।
रायपुर की कोमल व्यास और आरिफ खान इनोवेदास एडटेक स्टार्टअप पर काम कर रहे हैं। व्यास ने बताया कि हम एक ऐसा एआई बेस्ड ऐप डिजाइन कर रहे हैं। जिसकी मदद से स्टूडेंट्स को कस्टामाइज कंटेंट प्राप्त होगा। इसमें स्टूडेंट्स को कंटेंट वर्चुअल रियालिटी, नोट्स जैसे सभी तरह के मिलेंगे। हमने इसका प्रोटोटाइप भी तैयार कर लिया है। मैं पिछले सात साल से टीचिंग कर रही हूं। इस दौरान देखने को मिला कि बच्चे कई भाषा नहीं समझ पाते जिसके कारण ऐप में ऐसा फीचर होगा जो स्टूडेंट्स को जिस भाषा में भी लेक्चर को सुनना चाहते है वो रियल टाइम में कर सकेंगे। वहीं, नोट्स भी उनके अनुसार मिलेगा तो उन्हें फायदा होगा। हम पढ़ाई के इस गैप को खत्म करने दिशा में काम कर हैं। ऐप में रीजनल लैंग्वेज में ही स्किल डेवलपमेंट कोर्स भी प्रोवाइड करेंगे।