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रायपुर

नान घोटाले में CBI का एक्शन! तीनों अफसरों पर FIR दर्ज, सबूतों से छेड़छाड़ करने का लगा आरोप..

NAN Scam in CG: रायपुर में सीबीआई ने 2015 में हुए नान घोटाले की जांच को प्रभावित करने के आरोप में तीनों अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

रायपुरApr 20, 2025 / 11:53 am

Shradha Jaiswal

नान घोटाले में CBI का एक्शन! तीनों अफसरों पर FIR दर्ज, सबूतों से छेड़छाड़ करने का लगा आरोप..
NAN Scam in CG: छत्तीसगढ़ के रायपुर में सीबीआई ने 2015 में हुए नान घोटाले की जांच को प्रभावित करने के आरोप में पूर्व महाधिवक्ता सतीषचंद्र वर्मा, पूर्व आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। तीनों के खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़, गवाहों पर दबाव बनाने का आरोप लगाया गया है। साथ ही आयकर विभाग द्वारा जब्त डिजिटल साक्ष्यों के अनुसार उक्त तीनों द्वारा नान के प्रकरण में कार्रवाई को विफल करना बताया है।
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NAN Scam in CG: तीनों अफसरों पर लगे ये सारे आरोप

सीबीआई के शनिवार को जारी बयान के अनुसार उक्त तीनों ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए जांच को प्रभावित किया। वहीं, अग्रिम जमानत लेने के लिए आरोपी सेवानिवृत्त लोक सेवकों ने ईओडब्ल्यू में पदस्थ वरिष्ठ अधिकारियों के प्रक्रियात्मक एवं विभागीय कार्य से संबंधित दस्तावेजों तथा नान प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए जाने वाले जवाब में फेरबदल करवाया।
18 अप्रैल को अनिल और आलोक के ठिकानों में छापे की कार्रवाई का जिक्र करते हुए प्रकरण से जुड़े आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त करने की जानकारी दी है। इसके आधार पर नान घोटाला में गवाहों को प्रभावित करने, सबूतों से छेड़छाड़ करने के मामले में अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने के संकेत दिए हैं।
जिन्होंने जांच में बाधा डालने का प्रयास किया। बता दें कि इस पूरे मामले में ईओडब्लू ने नवंबर 2024 में अपराध दर्ज किया था। उसी एफआईआर पर सीबीआई ने नए सिरे से अपराध दर्ज कर मामले को जांच के दायरे में लिया है।

यह है पूरा मामला

ईओडब्ल्यू ने नान घोटाला उजागर होने पर 12 फरवरी 2015 में 28 ठिकानों में छापेमारी की। इसमें दौरान तलाशी में 3 करोड़ 64 लाख रूपए नकद बरामद किए गए थे। उस समय तत्कालीन खाद्य सचिव डॉ. आलोक शुक्ला तथा नान के संचालक अनिल टूटेजा पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी करने के आरोप लगे थे।
सीबीआई की प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आई है कि तत्कालीन महाधिवक्ता वर्मा को अनुचित लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई। वहीं टूटेजा तथा डॉ. शुक्ला ने अग्रिम जमानत का लाभ पाने की कोशिश की। इसके लिए दोनों अफसरों ने ईओडब्लू के अफसरों को दस्तावेजों में छेड़खानी करने राजी किया था।

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