शक्ति ने बताया, “जब लगातार दो बार असफलता मिली, तो मन टूटा जरूर, लेकिन पापा, मम्मी और अपने अंदर की कमियों पर काम करके मैंने फिर खुद को खड़ा किया। मोटिवेशन काम आया, और मेहनत रंग लाई।”
जब उनसे पूछा गया कि कब लगा कि अब टॉपर बन सकते हैं, तो शक्ति ने मुस्कराते हुए कहा, “सच कहूं तो कभी टॉपर बनने का नहीं सोचा था। पिछले साल जब असफलता मिली, तब भी भरोसा था कि अब हो जाएगा, लेकिन इस साल सब कुछ बेहतर हुआ और सपना सच हो गया।”
शक्ति दूबे मानती हैं कि सिविल सेवा केवल व्यवस्था का हिस्सा बनना नहीं है, बल्कि यह बदलाव का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा, “इस सेवा के जरिए हम सिस्टम के भीतर से बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं।”
रिज़ल्ट के बाद सबसे पहले माता-पिता को दी बधाई
अपना रिज़ल्ट देखकर शक्ति ने सबसे पहले अपने माता-पिता को फोन किया और खुद उन्हें बधाई दी। इसके बाद उनके ऑफिस से भी बधाई के कॉल्स आने लगे।
नीतिगत सुधार की बात पर शक्ति ने स्पष्ट कहा कि अगर उन्हें किसी एक पॉलिसी को बदलने का अवसर मिले तो वह शिक्षा नीति में बदलाव लाना चाहेंगी। “शिक्षा में बदलाव पूरे समाज और देश में बदलाव लाने की कुंजी है,”