यह आदेश जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ ने डॉक्टर अरविंद गुप्ता की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। अदालत ने राज्य सरकार के चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से दायर हलफनामे को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि इसमें जरूरी सूचनाओं की गंभीर कमी है।
सरकार की ओर से प्रस्तुत सूची में 42 संचालित मेडिकल कॉलेजों और उनमें बिस्तरों की संख्या का ज़िक्र किया गया है, लेकिन कॉलेजों के बुनियादी ढांचे और फैकल्टी से जुड़ी अहम जानकारियां गायब हैं। इस पर अदालत ने असंतोष जताते हुए प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा को निर्देश दिया कि एक नया, अधिक स्पष्ट और विस्तृत हलफनामा दाखिल किया जाए, जिसमें राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों और उनके अस्पतालों की वास्तविक स्थिति का खुलासा हो।
कोर्ट ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों की भारी कमी और संसाधनों की खामियां सीधे तौर पर आम जनता की स्वास्थ्य सेवाओं पर असर डाल रही हैं। इसको लेकर अदालत ने सख्ती बरतते हुए प्रयागराज और कानपुर के मेडिकल कॉलेजों के प्रमुखों को व्यक्तिगत हलफनामे के जरिए पूरी जानकारी देने का आदेश दिया है।
इस हलफनामे में फैकल्टी की रिक्तियों की सटीक संख्या, बुनियादी ढांचे की वर्तमान स्थिति और भविष्य की जरूरतों का स्पष्ट उल्लेख करने को कहा गया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 1 मई 2025 को निर्धारित की है।