सरकार की ओर से भवन निर्माण के लिए जमीन भी जनवार क्षेत्र में उपलब्ध करा दी गई है। जिला अस्पताल को मेडिकल कॉलेज अस्पताल में उन्नत किया जाना भी प्रस्तावित है, जिससे निजी निवेशकों को बुनियादी ढांचे पर अधिक खर्च नहीं करना पड़े। इसके बावजूद किसी ने इस योजना में रुचि नहीं दिखाई।
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इस पूरे मामले पर जिला प्रशासन चुप्पी साधे हुए हैं। अधिकारी सिर्फ इतना कह रहे हैं कि मेडिकल कॉलेज खोलने की सभी स्थानीय औपचारिकताएं पूरी कर दी गई हैं।
दूसरी निविदा में भी नहीं मिला निवेशक जानकारी के अनुसार पन्ना में मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए पहली निविदा की समयसीमा तीन बार बढ़ाई गई, लेकिन फिर भी पन्ना में मेडिकल कॉलेज संचालित क्षेत्रीय लोगों के लिए बढ़ेंगे चिकित्सा शिक्षा के अवसर।
पन्ना जैसे पिछड़े जिले के लिए मेडिकल सभी आवश्यक संसाधन जुटा लिए गए हैं। जिला अस्पताल का भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के रूप में उन्नयन किया जा रहा है। टेंडर प्रक्रिया राज्य स्तर से संचालित है। इसके बाद दूसरी बार टेंडर निकाला गया जिसकी अंतिम तारीख 31 मार्च थी, पर इस बार भी नतीजा शून्य रहा। कॉलेज न केवल स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है, बल्कि स्थानीय युवाओं को चिकित्सा करने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं आया।
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वहीं, पन्ना विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि ‘यदि निवेशक नहीं मिल रहे हैं तो यह चिंता का विषय है।’ उन्होंने बताया कि वे इस मुद्दे को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष रखेंगे और इस पर ठोस समाधान की दिशा में चर्चा करेंगे। उनका कहना है कि मेडिकल कॉलेज भवन निर्माण कार्य को जल्द पूरा कराने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे। शिक्षा का अवसर भी दे सकता है। निवेशकों की बेरुखी से यह सपना अभी तक साकार नहीं हो पाया है।