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Rajasthan: शिक्षा विभाग के एक फैसले के चलते राजस्थान में इतने प्रधानाचार्य को छोड़ना पड़ेगा जिला, जानिए इसका कारण

राजस्थान में शिक्षा विभाग ने खोले हैं प्रधानाचार्य के 4840 पद, ऑनलाइन काउंसलिंग 33 जिलों के आधार पर, जबकि अभी 41 जिले

पालीApr 11, 2025 / 05:23 pm

Rakesh Mishra

Rajasthan Education Department

प्रतीकात्मक तस्वीर

शिक्षा विभाग की ओर से राजस्थान में प्रधानाचार्य के 8 हजार से अधिक पद रिक्त हैं। प्रदेश में जिलावार राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयों में रिक्त पद के विकल्प देने के साथ ऑनलाइन काउंसलिंग की है, लेकिन पद सभी नहीं खोले थे। प्रदेश में रिक्त पदों की तुलना में महज 4850 पद ही काउंसलिंग सूची में है।
ऐसे में प्रदेश के 18 जिलों के 973 नए प्रधानाचार्य को जिला छोड़कर अन्य जिले में विकल्प भरना पड़ा। इसका कारण यह है कि इन 18 जिलों में काउंसलिंग के पदों की तुलना में पदोन्नत प्रधानाचार्य अधिक हैं। उधर, प्रदेश के 15 जिलों में प्रधानाचार्यों की संख्या के मुकाबले पद ज्यादा हैं। दूसरा विडम्बना यह है कि यह पद विभाग की ओर से 41 के बजाय पुराने 33 जिलों के आधार पर है। ऐसे में कई ऐसे स्कूल हैं, जो अब नए जिले में चले गए हैं और काउंसलिंग में पुराने जिले में ही बताए जा रहे हैं।

काउंसलिंग में कम खोले गए पदों वाले जिले

प्रदेश के भीलवाड़ा में संभागियों की तुलना में 9 पद कम खोले गए। इसी तरह अलवर में 92, पाली में 12, चित्तौड़गढ़ में 6, अजमेर में 91, सीकर में 66, चूरू 58, राजमसंद में 11, गंगानगर में 38, करौली में 25, दौसा में 24, हनुमानगढ़ में 18, बूंदी में 11, जयपुर 250, सवाई माधोपुर में 20, टोंक में 28, झुंझुनूं में 145 व कोटा में 69 पद संभागियों की तुलना में कम खोले गए।

इन जिलों में अधिक नियुक्त होंगे प्रधानाचार्य

प्रदेश के 15 जिलों में संभागियों की तुलना में अधिक पद खोले गए। ऐसे में मजबूरी में अपने जिले में पद नहीं होने पर प्रधानाचार्य बनने वालों को वह विकल्प चुनना पड़ा। प्रदेश के बाड़मेर में संभागियों की तुलना में 518, उदयपुर में 142, जालोर में 165, बांसवाड़ा में 145, जोधपुर में 81, डूंगरपुर में 98, जैसलमेर में 151, प्रातपगढ़ में 158, नागौर में 2, बारां में 123, झालावाड़ में 45, भरतपुर में 6, डूंगरपुर में 83, बीकानेर में 4, सिरोही में 36 पद संभागियों की तुलना में अधिक खोले गए थे।
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पीइइओ वाले स्कूल तक नहीं किए शामिल

कई पीइइओ वाले स्कूल काउंसलिंग में शामिल नहीं है, जबकि एकल स्कूल को काउंसलिंग में शामिल कर दिया गया। प्रधानाचार्य की जरूरत पीइइओ स्कूल में अधिक होती है। उसके अधिनस्थ और भी स्कूल होते हैं। ऐसे में सरकार को इस काउंसलिंग पर विचार करना चाहिए।
जनयनारायण कडेचा, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ एकीकृत

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