काउंसलिंग में कम खोले गए पदों वाले जिले
प्रदेश के भीलवाड़ा में संभागियों की तुलना में 9 पद कम खोले गए। इसी तरह अलवर में 92, पाली में 12, चित्तौड़गढ़ में 6, अजमेर में 91, सीकर में 66, चूरू 58, राजमसंद में 11, गंगानगर में 38, करौली में 25, दौसा में 24, हनुमानगढ़ में 18, बूंदी में 11, जयपुर 250, सवाई माधोपुर में 20, टोंक में 28, झुंझुनूं में 145 व कोटा में 69 पद संभागियों की तुलना में कम खोले गए।इन जिलों में अधिक नियुक्त होंगे प्रधानाचार्य
प्रदेश के 15 जिलों में संभागियों की तुलना में अधिक पद खोले गए। ऐसे में मजबूरी में अपने जिले में पद नहीं होने पर प्रधानाचार्य बनने वालों को वह विकल्प चुनना पड़ा। प्रदेश के बाड़मेर में संभागियों की तुलना में 518, उदयपुर में 142, जालोर में 165, बांसवाड़ा में 145, जोधपुर में 81, डूंगरपुर में 98, जैसलमेर में 151, प्रातपगढ़ में 158, नागौर में 2, बारां में 123, झालावाड़ में 45, भरतपुर में 6, डूंगरपुर में 83, बीकानेर में 4, सिरोही में 36 पद संभागियों की तुलना में अधिक खोले गए थे।पीइइओ वाले स्कूल तक नहीं किए शामिल
कई पीइइओ वाले स्कूल काउंसलिंग में शामिल नहीं है, जबकि एकल स्कूल को काउंसलिंग में शामिल कर दिया गया। प्रधानाचार्य की जरूरत पीइइओ स्कूल में अधिक होती है। उसके अधिनस्थ और भी स्कूल होते हैं। ऐसे में सरकार को इस काउंसलिंग पर विचार करना चाहिए।जनयनारायण कडेचा, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष, राजस्थान शिक्षक संघ एकीकृत