दूसरा मुख्य लक्ष्य टीबी से 2015 में हुई मृत्यु संख्या को 2025 व 2030 तक क्रमश: 75% व 90% कम करना है। वर्ष 2023 तक विश्व में यह मात्र 23% कम हुई है। अफ्रीका व यूरोप ने क्रमश: 42% व 38% गिरावट प्राप्त की है, भारत में यह दर 18% रही है। कोविड-19 के दौरान प्रतिवर्ष टीबी के कारण मृत्यु संख्या में पिछले वर्षों के मुकाबले कुछ वृद्धि हुई परंतु वर्ष 2023 में मृत्यु संख्या में पुन: गिरावट आना शुरू हुआ। इसको देखते हुए आशा की जानी चाहिए कि 2030 तक हम टीबी के कारण होने वाली मृत्यु संख्या को संतोषजनक स्थिति तक कम कर पाएंगे। इसी क्रम में एक सकारात्मक बिंदु यह है कि प्रतिवर्ष टीबी के अनुमानित रोगियों एवं उन्हें पहचान कर उपचार पर आने वाले रोगियों की संख्या के अंतर में भी कमी आई है। वर्ष 2020 व 2021 में यह अंतर लगभग 40 लाख था जो 2023 में घटकर लगभग 27 लाख रह गया है। अधिक से अधिक टीबी के रोगियों की पहचान कर उनका इलाज शुरू करना, इस बात का सूचक है कि आने वाले समय में टीबी की इंसिडेंट दर व मृत्यु संख्या में कमी आएगी। विश्व में टीबी की पहचान एवं उपचार पर रोगी को काफी अधिक खर्च आता है। लगभग 50% रोगियों व उनके परिवार को जांच व इलाज के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष खर्चों के अलावा बीमारी के कारण उसकी आय में गिरावट के कारण वार्षिक आय का 20% से अधिक खर्च करना पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यह खर्चा शून्य होना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ ने सितंबर 2023 में एक उच्च स्तरीय मीटिंग की, जिसकी राजनीतिक घोषणा के अनुसार 2023 से लेकर 2027 तक की काल अवधि के लिए कुछ टारगेट निर्धारित किए, जिसके अनुसार वर्ष 2027 तक टीबी से ग्रसित 90% मरीजों की स्तरीय जांच एवं इलाज सुनिश्चित किया जाना एवं उन व्यक्तियों को जिनमें टीबी होने की संभावना अधिक है, उनको टीबी रोकथाम दवा दिया जाना शामिल है।
वर्ष 2027 तक सभी टीबी रोगियों को त्वरित मॉलेक्युलर जांच की सुविधा एवं स्वास्थ्य व सामाजिक सुरक्षा के पैकेज उपलब्ध करना होगा। वर्ष 2024 में 122 देशों ने यह सूचना दी है कि उनके यहां पर टीबी रोगियों एवं उनके परिजनों के लिए सामाजिक सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय नीति उपलब्ध है, इनमें रोगियों के लिए निशुल्क जांच एवं उपचार, उनके बैंक खाते में राशि का स्थानांतरण एवं भोजन सुरक्षा शामिल है। अगले 5 वर्षों में टीबी से रोकथाम के लिए सुरक्षित एवं प्रभावकारी टीका उपलब्ध होना भी एक लक्ष्य है। अंत में यह कहना गलत नहीं होगा कि टीबी के उपचार में काम आने वाली सभी प्रकार की दवाइयों के बिना टीबी उन्मूलन की बात सोचना बेमानी होगा।