scriptअब बसपा को भाजपा की ‘बी’ टीम बताने की कोशिश में कांग्रेस | Now Congress is trying to portray BSP as BJP's 'B' team | Patrika News
ओपिनियन

अब बसपा को भाजपा की ‘बी’ टीम बताने की कोशिश में कांग्रेस

राज कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक

जयपुरMar 05, 2025 / 11:02 pm

Sanjeev Mathur

आप के दिल्ली की सत्ता से बेदखल होने से संतुष्ट कांग्रेस ने अब बसपा पर निशाना साधा है। अरविंद केजरीवाल को झूठे वायदे करने वाला बता चुके राहुल गांधी ने अब मायावती की चुनावी रणनीति पर सवाल उठाते हुए बसपा को भाजपा की ‘बी’ टीम बताने की कोशिश की है। आप और कांग्रेस के बदलते रिश्ते किसी से छिपे नहीं। आप ने कांग्रेस से दिल्ली और पंजाब की सत्ता तो छीनी ही, गुजरात और गोवा समेत कुछ अन्य राज्यों में भी उसे नुकसान पहुंचाया। फिर भी राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा से मुकाबले के लिए कांग्रेस और आप, ‘इंडिया’ गठबंधन में साथ आ गए, लेकिन जब केंद्रीय सत्ता का लक्ष्य हासिल नहीं हुआ तो दिल्ली में आप को हराने के उद्देश्य के साथ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में ताल ठोंक दी। पिछली बार साढ़े चार प्रतिशत से कम मत पाने वाली कांग्रेस 2.8 प्रतिशत मत बढ़ा कर भी लगातार तीसरी बार खाता नहीं खोल पाई, लेकिन एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर आप को हरवा दिया। अतीत में आप ने जो भूमिका निभाई, वही इस बार दिल्ली में कांग्रेस ने निभाई। तब आप को भाजपा की ‘बी’ टीम कहा गया, अब कांग्रेस को क्या कहा जाए?
चुनावी मुकाबले में तीसरे खिलाड़ी पहले भी बाजी पलटते रहे हैं। दिल्ली, पंजाब, गुजरात और गोवा में तो आप की चुनावी मौजूदगी बहुत स्पष्ट नजर आई, लेकिन हरियाणा में भी उसकी भूमिका नजरअंदाज नहीं की जा सकती। कांग्रेस से बमुश्किल एक प्रतिशत मत ज्यादा पाकर भाजपा ने वहां भी सत्ता की ‘हैट्रिक’ कर ली। कांग्रेस-आप साथ होते तो परिणाम बदल भी सकता था। अतीत में बसपा से चुनावी गठबंधन कर चुकी कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दलित राजनीति में कांशीराम और मायावती के योगदान की प्रशंसा करते हुए टिप्पणी की है कि अब बहन जी ‘सकारात्मक’ चुनाव नहीं लड़तीं। यह भी कि अगर बसपा, ‘इंडिया’ गठबंधन में होती तो भाजपा नहीं जीत पाती। पिछले लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन के चलते भाजपा 303 से घटकर 240 सीटों पर आ गई। पिछले दो लोकसभा चुनावों में भाजपा को बहुमत दिलवाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले उत्तर प्रदेश ने ही जोरदार झटका दे दिया। बसपा को साथ लाने की कोशिशें भी की गई थीं। बसपा अलग लड़कर एक भी सीट नहीं जीती, पर कई सीटों पर भाजपा की जीत में मददगार साबित हुई। उससे भी राहुल की बात को बल मिलता है।
आश्चर्य नहीं कि राहुल पर तल्ख जवाबी टिप्पणी में मायावती ने उन्हें अपने गिरेबान में झांकने की सलाह देते हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की भूमिका और हश्र की याद दिलाई। बसपा पर भाजपा की ‘बी’ टीम की तरह राजनीति करने के आरोप पहली बार नहीं लग रहे। 2019 में अप्रत्याशित गठबंधन के चलते बसपा और सपा क्रमश: 10 और 5 लोकसभा सीटें जीतने में सफल रहे, पर चुनाव के बाद मायावती ने गठबंधन तोड़ दिया। उसके बाद से बसपा खासकर सपा के प्रभाव वाली सीटों पर चुन-चुन कर ऐसे उम्मीदवार उतारती रही है कि भाजपा जीत जाए। बसपा का घटता वोट बैंक बताता है कि मायावती को भी इसकी भारी राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ रही है। बेशक चुनावी राजनीति अंकगणित नहीं होती, लेकिन बिना गणित के चुनाव भी तो नहीं जीते जाते। उत्तर प्रदेश में ही सपा-बसपा गठबंधन ने कभी दोनों राष्ट्रीय दलों कांग्रेस और भाजपा को हाशिये पर धकेल दिया था। मुलायम सिंह यादव और कांशीराम द्वारा किए गए उस गठबंधन का आधार चुनावी अंकगणित ही था। कांग्रेस और बसपा के बीच तल्खी के मूल में दलित वोट बैंक भी है।
बसपा से पहले दलित, कांग्रेस का वोट बैंक रहे। उत्तर प्रदेश और पंजाब में बड़ी संख्या में होने के अलावा शेष देश में भी दलित वोट बैंक की चुनावी राजनीति में बड़ी भूमिका है। डॉ. भीमराव आंबेडकर, संविधान और आरक्षण के मुद्दों पर मुखर कांग्रेस की नजर दलित वोट बैंक पर है, जिसमें मायावती की अबूझ राजनीति के चलते बिखराव दिख रहा है। हाल के चुनावों में अल्पसंख्यकों के कांग्रेस की ओर लौटने के संकेत मिले। अगर दलित वोट बैंक भी कांग्रेस की ओर लौटे तो उसके पुनरुत्थान की राह आसान हो जाएगी।

Hindi News / Prime / Opinion / अब बसपा को भाजपा की ‘बी’ टीम बताने की कोशिश में कांग्रेस

ट्रेंडिंग वीडियो