संघर्ष स्थायी नहीं होते, लेकिन उनका असर आपकी पूरी जिंदगी बदल सकता है। वह कहती हैं कि मेरी कहानी उस पल से शुरू होती है जब मुझे पहली बार लगा कि मेरी जिंदगी खत्म हो रही है। शरीर नीला पड़ चुका था, मैं अपने पैरों को महसूस नहीं कर पा रही थी। मुझे मेनिंगोकोकल मेनिन्जाइटिस नामक संक्रमण हुआ और जीवन की संभावना 2 प्रतिशत से भी कम थी। मैं कोमा में चली गई। लेकिन वहीं से मेरी दूसरी जिंदगी शुरू हुई। मैं एक सामान्य 19 साल की लड़की से एक मशीनों और कृत्रिम अंगों पर निर्भर व्यक्ति बन गई। सबसे बड़ा झटका तब लगा जब मैंने पहली बार अपने नए ‘पैर’ देखे-भारी-भरकम, धातु के, जैसे किसी हार्डवेयर स्टोर से निकाले गए हों। लेकिन मुझे धीरे-धीरे समझ आया कि ये मेरा सबसे बड़ा नुकसान नहीं, सबसे बड़ी ताकत बन सकते हैं।
मैंने खुद के अंदर इतना आत्मविश्वास पैदा किया कि स्नोबोर्डिंग कर सकूं। मैंने सीखा कि चुनौतियां हमें तोडऩे नहीं, तराशने आती हैं। अगर व्यक्ति अपनी सबसे बड़ी कमजोरियों को अपनाए तो वे सबसे बड़ी ताकत बन सकती हैं। जो कुछ भी आज है, उसका पूरा इस्तेमाल कीजिए, क्योंकि कल कुछ भी बदल सकता है। हर किसी के पास एक कहानी होती है और सबसे ताकतवर कहानियां वे होती हैं जिन्हें बताने में सबसे ज्यादा डर लगता है। लेकिन वही कहानियां किसी और की रोशनी बन सकती हैं। अपना आत्मविश्वास कभी न खोएं।
(विभिन्न वक्तव्यों से लिए गए अंश)