scriptसंपादकीय : जीवनशैली में बदलाव से होगा मोटापे से मुकाबला | Editorial: Lifestyle changes will help combat obesity | Patrika News
ओपिनियन

संपादकीय : जीवनशैली में बदलाव से होगा मोटापे से मुकाबला

खान-पान के विकल्पों में बदलाव और विलासितापूर्ण जीवनशैली के हजार खतरे हैं। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है जिसमें कहा गया है कि सेहत को लेकर चिंता नहीं की गई तो 25 साल बाद देश के 45 करोड़ युवा ओवरवेट होंगे। जाहिर है दुनिया में जिस तरह से मोटापे की समस्या बढ़़ […]

जयपुरMar 05, 2025 / 11:08 pm

harish Parashar

खान-पान के विकल्पों में बदलाव और विलासितापूर्ण जीवनशैली के हजार खतरे हैं। लैंसेट जर्नल में प्रकाशित ताजा रिपोर्ट चौंकाने वाली है जिसमें कहा गया है कि सेहत को लेकर चिंता नहीं की गई तो 25 साल बाद देश के 45 करोड़ युवा ओवरवेट होंगे। जाहिर है दुनिया में जिस तरह से मोटापे की समस्या बढ़़ रही है उससे भारत भी अछूता नहीं है। पहले से ही हमारे यहां हृदय रोग, स्ट्रोक और मधुमेह जैसी बीमारियों का बोझ बहुत ज्यादा है। विशेषज्ञ इन बीमारियों और मोटापे के बीच संबंधों का खुलासा पहले ही कर चुके हैं, ऐसे में समय रहते नहीं चेते तो हालात और भयावह हो सकते हैं। चिंता इस बात की भी है कि लंबे समय से शहरी समस्या ही माना जाने वाला मोटापा हाल के वर्षों में ग्रामीण इलाकों में भी स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है। चिकित्सक लगातार कहते रहे हैं कि इस सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए हमें कैलोरी पर युद्ध की जरूरत है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि मोटापे और वजन की समस्या इसी तरह बढ़ती रही तो वर्ष 2050 तक दुनियाभर में 25 साल से ज्यादा उम्र के 380 करोड़ लोग मोटापे का शिकार होंगे। यह संख्या उस समय दुनिया में युवाओं की अनुमानित आबादी के आधे से ज्यादा होगी। मोटापे की समस्या जिस तरह से दूसरी बीमारियों को न्योता दे रही है, उसे देखते हुए अब राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक योजना बनाने की जरूरत है। बच्चों को ही आहार संबंधी आदतों को बदलने के लिए कह दिया जाए तो आगे जाकर उनकी जीवनशैली में बड़ा बदलाव संभव है। हमारे पारंपरिक भोजन में डेयरी उत्पाद, नमक, परिष्कृत तेल और चीनी की मात्रा कम थी, लेकिन अब हम ऐसे आहार की ओर बढ़ गए हैं जो ऊर्जा तो देते हैं लेकिन पोषक तत्वों की कमी है। चीनी का अतिरिक्त सेवन भी मोटापे को बढ़ाने में कम जिम्मेदार नहीं है। सोडा, कॉफी और चाय जैसे पेय पदार्थों के कारण हमारे शरीर में चीनी की अतिरिक्त मात्रा पहुंच रही है। अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड और ड्रिंक्स भी मोटापे के बड़ा कारण बने हैं।
मोटे तौर पर हानिकारक पैक्ड भोजन पर अधिक कर लगाकर, पौष्टिक भोजन को बढ़ावा देने व उपभोक्ताओं के मार्गदर्शन के लिए फूड पैकिंग पर पोषण लेबलिंग जैसे उपायों को सख्ती से लागू करना चाहिए। स्कूलों में पोषण शिक्षा कार्यक्रम लागू करने से भी मोटापे की समस्या का एक हद तक मुकाबला किया जा सकता है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि शारीरिक गतिविधियों जिनमें खेल-कूद, व्यायाम, योग आदि शामिल है, को भी बढ़ावा देना होगा, जिससे व्यक्ति खुद को सेहतमंद रखने की चिंता कर सके।

Hindi News / Prime / Opinion / संपादकीय : जीवनशैली में बदलाव से होगा मोटापे से मुकाबला

ट्रेंडिंग वीडियो