एक चैट ग्रुप भूल ने ट्रंप प्रशासन पर खड़े किए सवाल


डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों द्वारा गठित एक गोपनीय चैट समूह “हूती पीसी स्मॉल ग्रुप” की सदस्य सूची तैयार करते समय हुई भारी भूल ने न केवल नए प्रशासन को शर्मसार किया है, बल्कि अमरीकी सहयोगियों के मन में भी यह सवाल खड़ा कर दिया है कि उस वाशिंगटन डीसी में सुरक्षा का स्तर कितना भरोसेमंद है, जिसके साथ वे गोपनीय खुफिया जानकारियां साझा करते हैं। यह गलती “सिग्नल” नामक एक व्यावसायिक मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से हुई।
24 मार्च को ‘द अटलांटिक’ के प्रधान संपादक जेफ्री गोल्डबर्ग ने एक लेख प्रकाशित किया, जिसका शीर्षक था—“द ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन एक्सीडेंटली टेक्स्टेड मी इट्स वॉर प्लान” (“ट्रंप प्रशासन ने गलती से मुझे अपना युद्ध योजना संदेश भेज दिया”)। उन्होंने लिखा कि उन्हें यमन पर आगामी सैन्य हमलों की सूचना पहले ही मिल गई थी, लेकिन उन्हें यकीन नहीं हुआ। फिर बम गिरने लगे। उन्होंने दावा किया कि उन्हें पहले बमबारी से दो घंटे पहले ही इस हमले की जानकारी मिल गई थी।
25 मार्च को राष्ट्रपति ट्रंप ने स्वीकार किया कि इस चैट ग्रुप को बनाने वाले उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने गलती से जेफरी गोल्डबर्ग को एक अनधिकृत व्यक्ति के रूप में शामिल करके “सबक सीखा है”। उन्होंने कहा कि वाल्ट्ज एक अच्छे व्यक्ति हैं, और यह घटना उनके राष्ट्रपति बनने के बाद दो महीनों में एकमात्र गड़बड़ी थी, “और यह कोई गंभीर नहीं थी।” व्हाइट हाउस ने 26 मार्च को दावा किया कि सिग्नल ऐप के जरिए साझा की गई जानकारी गोपनीय नहीं थी।
गोल्डबर्ग ने शुरुआत में सोचा कि उन्हें किसी जाल में फंसाने के लिए इस समूह में जोड़ा गया है या यह किसी विदेशी खुफिया एजेंसी का दुष्प्रचार अभियान हो सकता है। उन्हें विश्वास नहीं हुआ कि राष्ट्रीय सुरक्षा नेतृत्व “सिग्नल” जैसे प्लेटफॉर्म पर युद्ध योजनाओं पर चर्चा करेगा। जब उन्हें एहसास हुआ कि यह चैट ग्रुप असली था तो उन्होंने खुद को समूह से हटा लिया। लेकिन न तो किसी ने उनकी मौजूदगी पर ध्यान दिया और न ही उनके निकलने पर।
24 मार्च को गोल्डबर्ग ने माइक वॉल्ट्ज और अन्य अधिकारियों को लिखा कि उन्हें गलती से इस समूह में जोड़ा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस प्रकार की संवेदनशील चर्चाओं के लिए संवेदनशील संकेंद्रित सूचना सुविधा का उपयोग किया जाना चाहिए था। बाद की रिपोर्टों में पता चला कि जेफ्री गोल्डबर्ग (जे.जी.) को अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन एल. ग्रियर समझकर गलती से जोड़ लिया गया था।
इतिहास बताता है कि इस प्रकार की गंभीर गलतियां राष्ट्रीय सुरक्षा को गहरी चोट पहुंचाती हैं। अमेरिका में 1947 में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद प्रणाली की स्थापना इसी उद्देश्य से की गई थी कि राष्ट्रपति तक पहुंचने वाली नीतिगत सिफारिशें तीन स्तरों पर छानकर भेजी जाएं। इनमें पहला स्तर अवर सचिव स्तर के अधिकारियों का इंटर-एजेंसी ग्रुप था। दूसरा स्तर सीनियर इंटर-एजेंसी ग्रुप था, जिसमें उप सचिव स्तर के अधिकारी होते थे। तीसरा और सर्वोच्च स्तर प्रिंसिपल्स ग्रुप था, जिसमें विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और सीआईए प्रमुख जैसे कैबिनेट स्तर के अधिकारी शामिल होते थे।
हर राष्ट्रपति ने इस पर राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णय निर्देश जारी किए। उदाहरण के लिए, रोनाल्ड रीगन के 12 जनवरी 1982 के राष्ट्रीय सुरक्षा निर्णय निर्देश-2 में कहा गया था कि इस पूरी प्रणाली का केंद्र राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के सहायक होंगे। वही एजेंडा तय करेंगे, ब्रीफिंग जारी करेंगे, बैठकें बुलाएंगे, राष्ट्रपति के निर्णयों को संबंधित एजेंसियों तक पहुंचाएंगे और उनके अनुपालन की रिपोर्ट लेंगे।
उस समय प्रक्रियात्मक और दस्तावेज़ सुरक्षा का ध्यान व्यक्तिगत बैठकों के माध्यम से रखा जाता था। 9/11 के हमलों के बाद, खुफिया जानकारी को तेजी से साझा करने की जरूरत बढ़ गई और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों का उपयोग बढ़ा, लेकिन इसमें सुरक्षा सावधानियों में चूक बढ़ी।
2019 में “यूक्रेन युद्ध खुफिया लीकर” जैक टेक्सीरा ने गेमर्स के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म डिस्कॉर्ड पर गोपनीय जानकारियां लीक कीं। उनके पास “टॉप सीक्रेट” पहुंच थी। हालांकि, उनका इरादा देशद्रोह नहीं था, बल्कि अपने दोस्तों के बीच खुद को ओरिजिनल गैंगस्टर साबित करना था।
2010 में चेल्सी एलिज़ाबेथ मैनिंग ने विकीलीक्स को 7 लाख से अधिक गोपनीय दस्तावेज लीक कर दिए। सेना में भर्ती होने के बाद उन्होंने अपनी टॉप सीक्रेट पहुंच का दुरुपयोग किया और बड़ी मात्रा में दस्तावेज चुरा लिए। ‘द गार्जियन’ के अनुसार, मैनिंग का दावा था कि अमेरिकी सेना इराक युद्ध के बारे में जनता को गुमराह कर रही थी।
इसी तरह, एडवर्ड स्नोडेन ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के पुराने सुरक्षा तंत्र का फायदा उठाकर लाखों गोपनीय दस्तावेज लीक कर दिए। 2017 में रिएलिटी लीघ विनर नामक एनएसए कॉन्ट्रैक्टर ने 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रूसी हस्तक्षेप के विवरण वाले सरकारी दस्तावेज द इंटरसेप्ट को भेज दिए।, वह इसे देशभक्ति का कृत्य समझती थी।
हालांकि, “हौथी पीसी स्मॉल ग्रुप” की यह गलती पहली आधिकारिक भूल मानी जा सकती है। केवल तेजी से प्रसार के लिए एससीआईएफ प्रणाली का उपयोग न करना एक ऐसी आपदा साबित हुई है. जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।
राष्ट्रपति ट्रंप का इसे “गंभीर नहीं” बताना और शीर्ष अधिकारियों द्वारा इसकी संवेदनशीलता को कम करके आंकना, केवल राजनीतिक तूफान से बचने की कोशिश है। यह एक ऐसी विफलता है जिसने सुरक्षा, खुफिया जानकारी, कार्यक्षमता और ट्रंप प्रशासन की क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं— ऐसे सवाल जिनके जवाब के लिए बयानों और बकवास बातों से कहीं ज़्यादा की ज़रूरत होगी।
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