अक्सर शादियों में होने वाला फिजूलखर्च व्यक्ति अपनी इच्छा से करते हैं। इसे कम करने के लिए लोगों को समझाना और जागरूक करना आवश्यक है, इसके लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाकर भी जागरूक किया जा सकता है। –दीपक फुलिया, हनुमानगढ़
शादियों में बढ़ते खर्च को रोकने के लिए भोजन की बर्बादी, डीजे, आतिशबाजी और गिफ्ट रूपी दहेज जैसी फिजूलखर्ची से बचना चाहिए। शादी में खर्च होने वाले पैसे को बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर लगाएं। परिवार के उच्च शिक्षा, नैतिक मूल्यों व संस्कारों के विकास पर लगाएं। जो परंपराएं पहले नहीं थी, बाजार की प्रतिस्पर्धा ने उसे शुरू करा दिया है। इन तमाम कारणों से खर्च बढ़ गया है, जिसे नियंत्रित करना आवश्यक है। – उमराव सिंह वर्मा, सेमरिया, बेमेतरा, छत्तीसगढ़
आजकल शादियों मे दिखावे और झूठी शान के लिए फिजूलखर्ची वाकई बहुत बढ़ गई है। करोड़ों रुपये खर्च की हुई शादी मे भी जब लोग कमियां निकालने से बाज नहीं आते हैं तो सोचने वाली बात है कि शादियों मे अधिक पैसा बर्बाद करना बेवकूफी भरा काम करना ही कहलाएगा। तड़क – भड़क से दूर बगैर किसी झूठे दिखावे के सादे सुंदर और व्यवस्थित रूप से किये गये शादी समारोह, लंबे समय तक आने वाले मेहमानों द्वारा याद रखे जा सकते हैं जिन्हें आज के महंगाई के जमाने मे अपनाने में समझदारी है। लोगों को जागरूक हो कर इस बात को समझना होगा। – नरेश कानूनगो ‘शोभना’, देवास,म.प्र.