इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता और विजनरी नेतृत्व से गुजरात और गुजरातियों का गौरव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमेशा छोटी-छोटी मगर प्रभावशाली बातों का ध्यान रखा है। पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण, स्वच्छता की बात हो या नए उभरते क्षेत्रों और उद्योगों को प्रोत्साहन, उन्होंने हर विषय का समाधान सुझाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘मिथिलांचलडायरी’ यात्रा साहित्य की श्रेणी में आती है। पढ़ाई और अध्ययन से चिंतन और मनन का दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए। हमारी भाषा के यात्रा साहित्य में हमारी विरासत की अनुभूति समाई होती है।
उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक स्थलों की प्रत्यक्ष यात्रा का मूल्य विशेष होता है। जब हम ऐसे ऐतिहासिक महत्व वाले स्थलों की यात्रा करते हैं, तो केवल भ्रमण नहीं, बल्कि अंतरमन से अनुभूति करें। स्थल अनुभव, अनुभूति का अनोखा माध्यम होता है। कोई भी कार्य करें, उसमें निरंतरता का महत्व विशेष होता है।
इस अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराडकर ने कहा कि परिषद ने साहित्य संवर्धन के लिए यात्रा का अनूठा उपक्रम बनाए रखा है। उन्होंने आग्रह किया कि भारत में यात्रा साहित्य को विशेष महत्व दिया जाना चाहिए। यात्रा साहित्य में फाहियान, ह्वेनसांग, मेगास्थनीज जैसे विदेशी यात्रियों के प्रसंग इतिहास में देखने को मिलते हैं। हमारे यहां काका कालेलकर का यात्रा साहित्य उपलब्ध है।
इस अवसर पर पुस्तक की लेखिका डॉ. ख्याति पुरोहित ने पुस्तक लेखन की अपनी यात्रा का उल्लेख करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के अतिरिक्त मुख्य सचिव एम.के. दास, वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार, शिक्षक और साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।