साथ ही स्टॉफ को जीवनरक्षक उपकरणों को चलाने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। अस्पताल में 20 बैड का आईसीयू तो है लेकिन शहर की आबादी और सुपरस्पेशिलिटी वाले मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण गंभीर मरीजों को परेशानी होती है। वहीं कई बार आईसीयू में सभी बैड फुल होने पर वार्ड के गंभीर मरीज को शिफ्ट नहीं किया जा सकता है। मजबूरी में परिजन मरीज को निजी अस्पताल या हायर सेंटर लेकर चले जाते हैं। प्रबंधन के अनुसार अस्पताल में मेडिसिन के वार्ड में सबसे अधिक मरीज भर्ती होते हैं। इस कारण अस्पताल में मेडिसिन के चार वार्ड बनाए गए हैं।
ये है सेमी आईसीयू बैड अस्पताल अधीक्षक डॉ. केके अग्रवाल के अनुसार आईसीयू गंभीर मरीजों के लिए अलग से बनाया जाता है जबकि सेमी आईसीयू अन्य वार्ड के साथ हो सकता है। इस दौरान गंभीर मरीज पर लगातार नजर बनाए रखने के लिए सेमी आईसीयू में मोटराइज्ड बैड, मॉनिटर, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन सप्लाई प्वाइंट, साइड रेलिंग सहित जीवन रक्षक जरूरी उपकरणों के लिए कनेक्टर लगे हुए हैं। ऐसे में मरीज को गंभीर स्थिति में फौरन सटीक उपचार मिल सकेगा।