स्टूडियो घिबली जापान का एक प्रसिद्ध एनिमेशन स्टूडियो है, जिसे 1985 में हयाओ मियाजाकी (Hayao Miyazaki), इसाओ ताकाहाता और तोशियो सुजुकी ने स्थापित किया था। स्टूडियो अपनी हस्तनिर्मित एनीमेशन कला, बारीकियों से भरपूर दृश्य और कल्पनाशीलता के लिए जाना जाता है।
‘घिबली’ शब्द अरबी से आया है, जिसका अर्थ है गर्म रेगिस्तानी हवा। इस शब्द का प्रयोग कभी इतालवी पायलट भूमध्य सागर की गर्म हवा को दर्शाने के लिए करते थे। स्टूडियो घिबली के सह संस्थापक हयाओ मियाजाकी ने इस नाम को इसलिए चुना ताकि यह एनीमेशन की दुनिया में गर्म-ताजी हवा की तरह बदलाव लाए।
घिबली स्टूडियो के जरिए एनिमेशन को अलग पहचान दिलाने वाले
हयाओ मियाजाकी एआइ-जनित एनिमेशन के घोर विरोधी हैं। उनका मानना है कि घिबली की कला हस्तनिर्मित और भावनात्मक होती है, जिसे मशीन नहीं पकड़ सकती। वे तकनीक की बजाय पारंपरिक कला रूपों को प्राथमिकता देते हैं।
एआइ से जुड़े कानूनी विशेषज्ञ इवन ब्राउन का कहना है कि चूंकि यह शैली संरक्षित नहीं है, इसलिए ओपनएआइ तकनीकी रूप से किसी कानून का उल्लंघन नहीं कर रहा।
माई नेबर तोतोरो (1988) – दो बहनों और एक जादुई वन आत्मा (तोतोरो) की कहानी।
प्रिंसेस मोनोनोके (1997) – इंसानों और प्रकृति के बीच टकराव पर आधारित कहानी।
स्पिरिटेड अवे (2001) – ऑस्कर विजेता फिल्म, एक रहस्यमय स्नानागार की कहानी।
हाउल्स मूविंग कैसल (2004) – जादू, प्रेम और युद्ध-विरोधी विचारों से भरपूर फंतासी।