साथ ही एसपी ने जांच के आदेश दिए थे। अब जांच में पूरा मामला सही पाया गया तो इंस्पेक्टर राधेश्याम के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजा गया है। उधर, इंस्पेक्टर राधेश्याम के खिलाफ विभागीय कार्रवाई और प्रशासनिक एक्शन का गौरक्षा दल और हिन्दू संगठनों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि इंस्पेक्टर राधेश्याम को फर्जी फंसाया गया है। गौरक्षा दल के कार्यकर्ताओं ने पुलिस को दो दिन का समय दिया है। इस दौरान इंस्पेक्टर को रिहा नहीं किया गया तो बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गई है।
एसएचओ पर मानवाधिकार उल्लंघन का मुकदमा दर्ज
हरियाणा के पलवल में तत्कालीन शहर थाना प्रभारी राधेश्याम पर यह कार्रवाई राजस्थान के कोटा जिले के युवक आबिद की शिकायत पर की गई है। राजस्थान के कोटा जिले के सांगोद गांव निवासी आबिद लोगों की तेल मालिश करता है। आबिद ने एसपी पलवल को बताया कि वह 5 दिसंबर 2024 को अपने मित्र करीम खान के साथ पलवल आया था। यहां रामबीर नामक व्यक्ति ने अपने लकवाग्रस्त पिता की सेवा के लिए उन्हें 12 हजार रुपये में तय करके घर बुलाया था। आबिद का आरोप है कि उसने रामबीर के घर पहुंचकर उनके पिता की तेल मालिश की, लेकिन बाद में रामबीर ने पैसे देने से इनकार कर दिया। इसको लेकर विवाद हुआ। इसके बाद रामबीर ने पुलिस बुला ली।
हिरासत में अमानवीय व्यवहार के आरोप
आबिद की शिकायत के अनुसार, रामबीर के घर पहुंची पुलिस ने आबिद को हिरासत में लिया। इसके बाद उसे पहले पुलिस भवनकुंड चौकी और फिर शहर थाना पलवल लेकर गई। जहां तत्कालीन एसएचओ राधेश्याम ने उसे विश्राम कक्ष में ले जाकर उसके कपड़े उतरवाए। इसके बाद हाथ-पैर बांधकर उसे बुरी तरह पीटा। आरोप है कि इतने से इंस्पेक्टर का मन नहीं भरा तो उन्होंने आबिद को हरी मिर्च का घोल जबरन पिलाया और उसी घोल को एक बड़े इंजेक्शन के जरिए उसके प्राइवेट पार्ट में भर दिया। इस दौरान मौके पर मौजूद चौकी इंचार्ज मनोज कुमार सहित अन्य पुलिसकर्मियों ने राधेश्याम को रोकने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने। आबिद ने आरोप लगाया कि राधेश्याम ने उसे बेरहमी से पीटा, और एक सिपाही से 500 रुपये देकर आधा किलो हरी मिर्च पिसवा कर जबरन पिलाई। इस दौरान चौकी इंचार्ज मनोज कुमार ने मारपीट रोकने की कोशिश की, पर एसएचओ ने अनसुना कर दिया। हालत बिगड़ने पर मनोज कुमार ही पीड़ित को निजी अस्पताल ले गए। डीएसपी कुलदीप सिंह ने बताया कि पीड़ित आबिद की शिकायत पर एसपी चंद्र मोहन ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच कराई। आरोपों की पुष्टि होने पर राधेश्याम पर संगीन धाराओं में केस दर्ज कर लिया गया। इसके बाद एसएचओ राधेश्याम को गिरफ्तार किया गया है।
सीसीटीवी फुटेज और मेडिकल रिपोर्ट से पुष्टि
डीएसपी कुलदीप सिंह ने बताया कि आबिद की आपबीती सुनकर पलवल एसपी ने डीएसपी नरेंद्र खटाना को मामले की जांच सौंपी। डीएसपी नरेंद्र खटाना द्वारा की गई जांच में सीसीटीवी फुटेज, डॉक्टर मंगल की मेडिकल रिपोर्ट और अन्य पुलिसकर्मियों के बयानों से आरोपों की पुष्टि हो गई। जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि आबिद की गिरफ्तारी से पहले ही उसके साथ मारपीट की गई थी। जबकि उसके खिलाफ केस दर्ज होने का समय शाम 6:40 बजे बताया गया है। इन तथ्यों के आधार पर एसएचओ राधेश्याम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की गई। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
एसपी ने कहा- कानून सबके ऊपर बराबर लागू
पलवल के एसपी चंद्र मोहन ने कहा “पद चाहे कोई भी हो, कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है। जो भी अधिकारी अपने अधिकारों का दुरुपयोग करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई तय है। उपरोक्त शिकायत पर जांच की शुरुआत 15 अप्रैल 2025 को की गई। जांच में आरोपियों की पहचान और घटनाओं की सच्चाई को स्पष्ट किया गया। जांच के दौरान ही 16 अप्रैल को आईजी रेवाड़ी रेंज ने तत्कालीन शहर थाना प्रभारी राधेश्याम को पहले ही निलंबित कर दिया था।” पुलिस सूत्रों का कहना है कि इंस्पेक्टर राधेश्याम का नाम पहले भी एक साइबर ठगी केस में हिरासत में लिए गए आरोपियों से मारपीट के मामले में आ चुका है, जिसकी विभागीय जांच अब भी जारी है। आरोपी एसएचओ को अब न्यायालय में पेश किया जाएगा।
गौ रक्षकों और संगठनों का विरोध
इधर, इस कार्रवाई के विरोध में कई हिंदू संगठनों और गौ रक्षा दलों ने पलवल में धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि इंस्पेक्टर राधेश्याम एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी हैं, जिनके खिलाफ की गई कार्रवाई राजनीतिक दबाव और पक्षपातपूर्ण जांच का नतीजा है। प्रदर्शनकारियों ने पलवल के विभिन्न हिस्सों में मार्च निकाला और जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर एसएचओ राधेश्याम को दो दिन में रिहा नहीं किया गया तो आंदोलन को राज्यव्यापी स्तर पर ले जाया जाएगा। वहीं, सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे को लेकर गहमागहमी बनी हुई है।