नीमच के 16 साल पुराने एनकाउंटर केस की सीबीआई जांच कर रही थी। हाईकोर्ट के आदेश पर की जा रही जांच में तथ्य सामने आने के बाद डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को गिरफ्तार किया गया। ग्लैडविन इस समय पन्ना के गुनौर के एसडीओपी हैं। नीमच में पदस्थ रहे नीरज प्रधान का एक माह पहले ही उज्जैन ट्रांसफर किया गया हालांकि उन्होंने ज्वाइन नहीं किया।
हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई दिल्ली की क्राइम यूनिट-1 मामले की जांच कर रही है। मंगलवार को तीन घंटे की पूछताछ के बाद डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों आरोपियों के मोबाइल फोन भी जब्त कर लिए गए हैं। जांच अधिकारी ने डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान को बयान के लिए बुलाया था।
गिरफ्तारी की पुष्टि
एडिशनल सीपी नगर (कानून) अमितसिंह ने डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान की गिरफ्तारी की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि दोनों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया। एनकाउंटर का किया झूठा दावा
नीमच की मनासा तहसील के नलवा का बंशी गुर्जर कुख्यात तस्कर है। उसने 4 फरवरी 2009 को राजस्थान पुलिस से अपने साथी रतनलाल मीणा को छुड़ाया था। 7 फरवरी को नीमच पुलिस ने उसके एनकाउंटर का दावा किया। डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कार और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान एनकाउंटर टीम के अहम सदस्य थे।
बंशी गुर्जर जिंदा मिला
बाद में बंशी गुर्जर जिंदा मिला, 20 दिसंबर 2012 को उज्जैन पुलिस ने दानीगेट से उसे पकड़ा। इसके बाद उज्जैन के गोवर्धन पंड्या ने हाईकोर्ट में लगाकर मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि पुलिस ने निर्दोष को मारने की साजिश रची थी।
बाद में बंशी गुर्जर जिंदा मिला, 20 दिसंबर 2012 को उज्जैन पुलिस ने दानीगेट से उसे पकड़ा। इसके बाद उज्जैन के गोवर्धन पंड्या ने हाईकोर्ट में लगाकर मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि पुलिस ने निर्दोष को मारने की साजिश रची थी।
सीबीआई ने मामले एक एएसपी और अन्य पुलिसकर्मियों को भी नोटिस भेजा था। एएसपी ने बयान देने से इनकार कर छुट्टी ले ली।
पत्नी के प्रेगनेंट होने पर बंशी के जीवित होने की बात सामने आई
वर्ष 2009 में रामपुरा के बेसला घाट पर बंशी का फर्जी एनकाउंटर किया गया था। आइजी स्क्वायड उज्जैन टीम ने 20 नवंबर 2012 बंशी गुर्जर को जिंदा पकड़ा था। घटना के 16 साल बाद भी न तो सीआइडी और न ही सीबीआइ एनकाउंटर में मारे गए व्यक्ति का पता नहीं लगा पाई। कुख्यात तस्कर बंशी पिता रामलाल गुर्जर के जीवित होने की बात तब सामने आई जब उसकी पत्नी प्रेग्नेंट हुई, यह चर्चा जोरों पर चलने पर वर्ष 2012 में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक टी आमोग्ला अईय्यर ने एनकाउंटर की फाइल पुन: खुलवाई थी। मामले ने तूल तब पकड़ा जब उज्जैन आइजी की स्क्वायड टीम ने बंशी को जीवित पकड़ लिया था। इसके बाद प्रकरण सीआइडी को सौंप दिया गया था।
सीआइडी ने भी फर्जी एनकाउंटर की जांच की, लेकिन कोई तथ्य सामने नहीं आए। इसके बाद हाई कोर्ट के आदेश पर जांच सीबीआइ को सौंपी गई। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के 13 अप्रेल को नीमच में प्रस्तावित दौरे के बीच अचानक सीबीआइ ने 16 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर प्रकरण में सक्रियता दिखाते हुए तत्कालीन रामपुरा टीआइ और वर्तमान गुनौर (पन्ना) एसडीओपी कर तथा एनकाउंटर के समय आरक्षक (वर्तमान में भी नीमच में प्रधान आरक्षक) नीरज प्रधान को पूछताछ के लिए इंदौर बुलाया था। करीब 3 घंटे तक चली पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया। फर्जी एनकाउंटर में शामिल एक-दो पुलिस अधिकारियों से भी सीबाआइ पूछताछ करेगी।