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भारत में 26 अप्रैल को फिर राजकीय शोक, जानें क्या है वजह

राजकीय शोक का दूसरा चरण एक दिनों का होगा, जो शनिवार, 26 अप्रैल को लागू रहेगा।

भारतApr 24, 2025 / 03:47 pm

Anish Shekhar

पोप फ्रांसिस, विश्व के सर्वोच्च कैथोलिक धर्मगुरु, के निधन ने न केवल ईसाई समुदाय, बल्कि पूरी दुनिया को शोक में डुबो दिया है। भारत सरकार ने उनके सम्मान में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि पोप फ्रांसिस का निधन सोमवार, 21 अप्रैल 2025 को हुआ। उनके प्रति सम्मान और विश्व शांति के लिए उनके योगदान को याद करते हुए भारत में 22, 23 और 26 अप्रैल को राजकीय शोक मनाया जाएगा।
राजकीय शोक का पहला चरण दो दिनों का था, जो मंगलवार, 22 अप्रैल और बुधवार, 23 अप्रैल को लागू रहा। इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहा, और सभी सरकारी आयोजनों को स्थगित कर दिया गया। गृह मंत्रालय के अनुसार, तीसरा दिन 26 अप्रैल को होगा, जो पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार के दिन के रूप में निर्धारित किया गया है। इस दिन भी पूरे देश में राजकीय शोक रहेगा, और राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा।

26 अप्रैल को होगा अंतिम संस्कार

पोप फ्रांसिस का अंतिम संस्कार 26 अप्रैल को वेटिकन सिटी में होगा, जिसमें विश्व भर के गणमान्य व्यक्ति और धर्मगुरु शामिल होंगे। भारत, जो हमेशा से धार्मिक सहिष्णुता और वैश्विक शांति का समर्थक रहा है, पोप फ्रांसिस के प्रति अपनी श्रद्धांजलि इस राजकीय शोक के माध्यम से व्यक्त कर रहा है। उनके निधन को एक ऐसी हस्ती का जाना माना जा रहा है, जिन्होंने न केवल धार्मिक एकता को बढ़ावा दिया, बल्कि पर्यावरण संरक्षण, गरीबी उन्मूलन और विश्व शांति जैसे मुद्दों पर भी अपनी प्रभावशाली आवाज बुलंद की।
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तीसरा दिन पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार के दिन मनाया जाएगा। इस दौरान पूरे भारत में उन सभी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा, जहां इसे नियमित रूप से फहराया जाता है। साथ ही, इस अवधि में कोई भी आधिकारिक मनोरंजन कार्यक्रम आयोजित नहीं होगा। पोप फ्रांसिस, जिनका असली नाम जॉर्ज मारियो बर्गोलियो था, मार्च 2013 में पोप चुने गए थे। वह अपने सादगी भरे जीवन, सामाजिक न्याय के प्रति समर्पण और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर मुखर रुख के लिए विश्व भर में जाने जाते थे। उनके निधन से न केवल कैथोलिक समुदाय, बल्कि पूरी दुनिया में शोक की लहर है। भारत में भी उनके निधन पर कई नेताओं और संगठनों ने शोक व्यक्त किया है।
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किडनी की बीमारी से जूझ रहे थे पोप फ्रांसिस

देश में कई चर्चों के पादरियों ने भी उनके निधन पर शोक जताया है। बता दें कि किडनी की बीमारी से जूझ रहे पोप फ्रांसिस का सोमवार को निधन हो गया। वेटिकन ने एक वीडियो संदेश में यह जानकारी दी। बयान में कहा गया था कि रोमन कैथोलिक चर्च के पहले लैटिन अमेरिकी नेता पोप फ्रांसिस का निधन हो गया था। ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस 88 वर्ष के थे और वह किडनी की बीमारी से पीड़ित थे। कुछ समय पहले कई दिनों तक वेंटिलेटर पर रहने के बाद वह ठीक होकर घर लौटे थे। पोप फ्रांसिस को हाल ही में डबल निमोनिया की गंभीर बीमारी ने भी जकड़ा था।

राजकीय शोक के दौरान क्या-क्या होता है?

1.झंडा आधा झुका दिया जाता है (National Flag at Half Mast):
पूरे देश या राज्य की सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुकाया जाता है।
केवल स्मरण या श्रद्धांजलि हेतु झंडा झुकाया जाता है, कोई अन्य कार्य नहीं किया जाता।
2.आधिकारिक समारोह और सरकारी कार्यक्रम रद्द:
सभी प्रकार के सरकारी समारोह, सांस्कृतिक, मनोरंजन और उद्घाटन कार्यक्रम स्थगित या रद्द कर दिए जाते हैं।
अगर, कोई सार्वजनिक रूप से निर्धारित कार्यक्रम पहले से तय हो, तो उसे भी टालने का प्रयास किया जाता है।
3.मनोरंजन पर रोक (Entertainment Restrictions):
सिनेमा हॉल, थिएटर और अन्य मनोरंजन से जुड़ी गतिविधियाँ कुछ स्थानों पर बंद रहती हैं।
टेलीविजन और रेडियो चैनल्स भी उस दिन सांस्कृतिक या मनोरंजन कार्यक्रम नहीं दिखाते, बल्कि श्रद्धांजलि से जुड़ी सामग्री प्रसारित करते हैं।
4.सरकारी स्कूल, कॉलेज, ऑफिस:
आमतौर पर सरकारी दफ्तर और स्कूल/कॉलेज खुले रहते हैं, जब तक कि विशेष आदेश न हों।
लेकिन किसी शीर्षस्थ नेता के निधन पर इन्हें भी एक दिन के लिए बंद किया जा सकता है।
5.अंतिम संस्कार में सरकारी सम्मान:
राजकीय शोक की घोषणा के साथ, सरकारी सम्मान के साथ अंतिम संस्कार भी किया जाता है – जैसे 21 तोपों की सलामी, बंदूक salute, तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर आदि।

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