पटना सासाराम ग्रीनफील्ड Highway को मिली मंजूरी, जानिए कहां किया जाता है इनका निर्माण, आम एक्सप्रेसवे से कैसे अलग?
Greenfield Highway in Bihar: पटना-सासाराम ग्रीनफील्ड हाइवे को हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिल गई है। यह 120 किलोमीटर लंबा चार-लेन एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे पटना, आरा और सासाराम को जोड़ेगा, जिससे क्षेत्र में यातायात सुगमता और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
Patna Ara Sasaram Highway: पटना-सासाराम ग्रीनफील्ड हाइवे को हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल से मंजूरी मिली है, जो बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण आधारभूत संरचना परियोजना है। यह 120 किलोमीटर लंबा चार-लेन एक्सेस कंट्रोल्ड हाइवे पटना, आरा और सासाराम को जोड़ेगा, जिससे क्षेत्र में यातायात सुगमता और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। ग्रीनफील्ड हाइवे का निर्माण पूरी तरह नए मार्ग पर किया जाता है, जहां पहले से कोई सड़क मौजूद नहीं होती, जो इसे पारंपरिक एक्सप्रेसवे से अलग बनाता है। यह परियोजना हाइब्रिड एन्युटी मोड (HAM) के तहत विकसित की जाएगी, जो सार्वजनिक-निजी भागीदारी का एक प्रभावी मॉडल है। आइए जानते हैं कि ग्रीनफील्ड हाइवे का निर्माण कहाँ होता है और यह सामान्य एक्सप्रेसवे से किस तरह भिन्न है।
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे एक ऐसा राजमार्ग होता है, जिसका निर्माण पूरी तरह से नए और अप्रयुक्त भूमि पर किया जाता है, जहाँ पहले से कोई सड़क या आधारभूत संरचना मौजूद नहीं होती। इसका मतलब है कि यह परियोजना शून्य से शुरू होती है और मौजूदा सड़कों को चौड़ा करने या उनके साथ जोड़ने के बजाय एक नया मार्ग बनाया जाता है। इस तरह के एक्सप्रेसवे को आमतौर पर सीधी रेखा में डिज़ाइन किया जाता है, जिससे यात्रा का समय कम होता है और यातायात की गति बढ़ती है।
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे की खासियत यह है कि यह पूरी तरह से एक्सेस-कंट्रोल्ड होता है, यानी इसमें प्रवेश और निकास के लिए केवल निर्धारित पॉइंट होते हैं, जिससे स्थानीय यातायात का हस्तक्षेप नहीं होता। यह सामान्य सड़कों या पारंपरिक एक्सप्रेसवे से अलग है, जो अक्सर मौजूदा मार्गों को अपग्रेड करके बनाए जाते हैं और कई जगहों पर स्थानीय सड़कों से जुड़े होते हैं। उदाहरण के लिए, पटना-सासाराम ग्रीनफील्ड हाइवे एक नया मार्ग होगा, जो बिहार के इन शहरों को तेज़ और सुरक्षित कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इसका निर्माण पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक रूप से किया जाता है।
देश में कितने ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे?
भारत सरकार ने देश भर में 22 ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे विकसित करने की योजना बनाई है। वर्तमान में कुछ प्रमुख ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे के उदाहरणों में दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे, नागपुर-विजयवाड़ा कॉरिडोर, हैदराबाद-रायपुर कॉरिडोर, इंदौर-हैदराबाद कॉरिडोर, खड़गपुर-सिलीगुड़ी कॉरिडोर, दिल्ली-देहरादून कॉरिडोर और रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर शामिल हैं। ये परियोजनाएँ देश के विभिन्न हिस्सों में कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए तैयार की गई हैं।
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का निर्माण उन क्षेत्रों में किया जाता है जहाँ पहले से कोई सड़क, राजमार्ग या आधारभूत संरचना मौजूद नहीं होती। ये पूरी तरह नए मार्ग होते हैं, जो आमतौर पर अप्रयुक्त भूमि, जैसे खेतों, जंगलों या बंजर इलाकों, पर बनाए जाते हैं। इसका उद्देश्य मौजूदा सड़कों के आसपास की भीड़भाड़ और जटिलताओं से बचना होता है।
हाईवे और एक्सप्रेसवे में अंतर
सामान्य हाईवे ज्यादातर शहरों के बीच से होकर गुजरते हैं, और इन पर वाहनों की अधिकतम गति 100 किलोमीटर प्रति घंटा तक सीमित होती है। दूसरी ओर, एक्सप्रेसवे पर वाहनों की स्पीड 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक जा सकती है। एक्सप्रेसवे में चढ़ने और उतरने के लिए विशेष रूप से निर्धारित स्थान होते हैं, जबकि हाईवे पर कहीं से भी प्रवेश और निकास संभव होता है।
झारखंड, यूपी और दिल्ली का सफर होगा आसान
पटना-आरा-सासाराम हाईवे परियोजना के जरिए पटना से बनारस और पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के रास्ते उत्तर प्रदेश, झारखंड और दिल्ली की यात्रा सुविधाजनक हो जाएगी। साथ ही, इस सड़क से पटना और बिहटा एयरपोर्ट के बीच भी संपर्क स्थापित होगा। इस परियोजना के पूरा होने से क्षेत्र में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। बिहार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने इसे राज्य की एक महत्त्वाकांक्षी योजना करार दिया है। उन्होंने इस परियोजना को मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की है।