scriptNabard Survey: कर्ज में डूब रहे लोग हमारे गांव के, 10 प्रतिशत ग्रामीण परिवार सालाना 50% की दर से चुका रहे ब्याज | Nabard Survey says villagers are drowning in debt 10 percent of rural families are paying interest at the rate of 50% per annum | Patrika News
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Nabard Survey: कर्ज में डूब रहे लोग हमारे गांव के, 10 प्रतिशत ग्रामीण परिवार सालाना 50% की दर से चुका रहे ब्याज

Nabard Latest Survey: हर छठा ग्रामीण परिवार परिचितों और साहूकारों से कर्ज ले रहा है। गांवों में कर्ज लेने वाले परिवारों में से 17.7 फीसदी लोग साहूकारों और अपने परिचितों से भारी-भरकम ब्याज पर ऋण ले रहे हैं।

भारतMar 28, 2025 / 08:15 am

स्वतंत्र मिश्र

Villagers taking debt

Villagers taking debt from sahukar

Nabard New Survey: ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज लेने वाला हर छठा परिवार साहूकारों या निकट संबंधियों के ऋण के चंगुल (villagers are drowning in debt) में फंसा है। इनमें से ज्यादातर लोग खर्च पूरे करने के लिए कर्ज ले रहे हैं। नाबार्ड के सर्वेक्षण (Nabard Survey) में सामने आया है कि गांवों में कर्ज (Villagers taking debt from sahookars) लेने वाले परिवारों में से 17.7 फीसदी लोग गैर-संस्थागत तरीके यानी साहूकार और जानने वालों से कर्ज ले रहे हैं। इनमें से काफी लोगों से सालाना 50 प्रतिशत से भी अधिक दर से ब्याज वसूला जा रहा है। साहूकारों और लोन ऐप्स से कर्ज लेने वालों से 50 फीसदी की दर से ब्याज वसूला जा रहा है। हालांकि सितंबर 2024 के मुकाबले मार्च 2025 में गैर-संस्थागत माध्यम से कर्ज लेने वालों की संख्या घटी है।

लोन लेने वाले समय पर नहीं लौटा पा रहे ऋण

नाबार्ड ने देश के 28 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 600 गांवों में 6,000 लोगों के बीच फरवरी के अंतिम सप्ताह और मार्च के प्रथम सप्ताह में यह सर्वेक्षण किया। इसके बाद यह सर्वे रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट बताती है कि संस्थागत (बैंक, को-ऑपरेटिव बैंक और वित्ती संस्थाएं) तरीके से ऋण लेने वाले लोगों की संख्या तो बढ़ रही है लेकिन लोन को समय पर अदा करने की गति में गिरावट आई है। लोगों ने माना है कि उनकी बचत घट रही है और जरूरी खर्च तेजी से बढ़ रहे हैं।
Nabard Survey

दोहरा ऋण ले रहे लोग

काफी परिवारों को अपनी जरूरतों को देखते हुए दोहरा ऋण लेना पड़ रहा है। सर्वे के अनुसार, 32% से अधिक परिवार औपचारिक यानी बैंक-एनबीएफसी आदि के साथ गैर-औपचारिक माध्यम से ऋण ले रहे हैं। यानी ये परिवार अपने कामकाज करने के लिए बैंकों से भी ऋण ले रहे हैं लेकिन आवश्यकता अधिक होने पर साहूकारों, परिचित लोगों से भी कर्ज उठा रहे हैं। इस श्रेणी के परिवारों में दोहरा ऋण चल रहा है। इसकी वजह है कि भारतीय परिवार अपनी कुल आय का 13-16% ही बचत कर रहे हैं।

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