जायसवाल ने कहा, “पश्चिम बंगाल की घटनाओं पर बांग्लादेश की टिप्पणियां अस्वीकार्य हैं। यह भारत द्वारा बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे उत्पीड़न के प्रति चिंता जताने के साथ तुलना करने की एक छिपी और कपटपूर्ण कोशिश है, जहां ऐसे अपराधों के दोषी आजादी से घूम रहे हैं।” विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा, “बांग्लादेश को बेबुनियाद टिप्पणियां और नैतिकता का दिखावा करने के बजाय अपने अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए।”
बांग्लादेश ने मुर्शिदाबाद हिंसा को लेकर दिया था बयान
यह विवाद तब शुरू हुआ, जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने गुरुवार को मुर्शिदाबाद हिंसा में अपनी किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया। बांग्लादेश के दैनिक अखबार डेली ऑब्जर्वर के अनुसार, मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने एक बयान में मुस्लिम समुदाय पर हुए हमलों की निंदा की, जिसमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ। उन्होंने भारत सरकार और पश्चिम बंगाल प्रशासन से अल्पसंख्यक मुस्लिम आबादी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने की मांग की।
बीजेपी चलाएगी वक्फ सुधार जागरूकता अभियान
इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक टीम शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के मालदा पहुंची। यह टीम वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ हुए प्रदर्शनों के बाद मुर्शिदाबाद और मालदा के हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करेगी। वक्फ (संशोधन) विधेयक 2 और 3 अप्रैल को क्रमशः लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया गया था। इसे दोनों सदनों में पारित कर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद 5 अप्रैल को कानून का रूप दिया गया। विपक्ष जहां इस कानून का विरोध कर रहा है, वहीं बीजेपी ने 20 अप्रैल से 5 मई तक ‘वक्फ सुधार जागरूकता अभियान’ शुरू करने की घोषणा की है, जिसके तहत मुस्लिम समुदाय को वक्फ कानून के फायदों के बारे में बताया जाएगा। इस घटनाक्रम ने भारत-बांग्लादेश के बीच कूटनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह बांग्लादेश की ओर से किसी भी तरह की अनुचित टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेगा और उसे पहले अपने घरेलू हालात संभालने की जरूरत है।