भारत में एक साल में 6 फीसदी बढ़ा खुशी का स्तर
इप्सोस की 2024 की रिपोर्ट में भारत में खुशी का स्तर 82 फीसदी मापा गया था। इस सर्वे में नीदरलैंड को सबसे खुश देश बताया गया था, जहां 85 फीसदी लोग खशु थे, जबकि भारत में 82 फीसदी। इस सूची में भारत दुनिया का चौथा सबसे खुश देश था। भारत से आगे नीदरलैंड, मैक्सिको और इंडोनेशिया जैसे देश थे। इस तरह भारत में एक साल में खुशी का स्तर 6 फीसदी बढ़कर अब 2025 में 88 फीसदी हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है।15 देश 14 साल पहले की तुलना में कम खुश
सर्वेक्षण में शामिल 20 देशों में से 15 देश 14 साल पहले की तुलना में कम खुश हैं। 2011 में सबसे खुशहाल देश तुर्की में खुशी में सबसे बड़ी गिरावट (-40 फीसदी) देखी गई है, उसके बाद दक्षिण कोरिया (-21 फीसदी), कनाडा (-18 फीसदी) और अमरीका (-16 फीसदी) का स्थान है। वहीं, स्पेन में 2011 के बाद से सबसे बड़ी वृद्धि देखी गई है। स्पेन में 2025 में खुशी का स्तर 11 फीसदी बढ़कर 72% हो गई है।हमें क्या होते हैं खुश और नाखुश
जो लोग नाखुश हैं, उनमें से 58% का कहना है कि उनकी वित्तीय स्थिति उन्हें ऐसा महसूस कराती है। जबकि केवल 24% का कहना है कि उनकी वित्तीय स्थिति उन्हें खुश करती है। इस तरह सभी पीढ़ियों के लोगों, अलग-अलग आय स्तर और देशों में इस बात को लेकर सहमति है कि वित्तीय स्थिति का उनकी खुशी और नाखुशी से संबंध है।मेहुल चोकसी: जिस महिला के जाल में फंसा था अब उसे ही बनाएगा ढाल? जानिए कौन हैं बारबरा
साथ ही, परिवार और बच्चे तथा लोगों से मिलनी वाली सराहना/प्यार महसूस करना लोगों के खुश रहने के दो सबसे बड़े कारण दर्ज किए हैं। पुरानी पीढ़ी के लोगों यह कहने की अधिक संभावना है कि परिवार उन्हें खुश करता है, जबकि युवा पीढ़ी का मानना है कि सराहना महसूस करना उन्हें खुशी देता है।