जज कानून से ऊपर नहीं लेकिन….
जस्टिस ए मुहम्मद मुश्ताक और पी कृष्ण कुमार की पीठ ने कहा- आज हमारे सामने अभियोजन महानिदेशक को सौंपा गया एक बयान रखा गया। जांच अधिकारी बयान के आधार पर कार्रवाई करें और इस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को अभियुक्तों की सूची से बाहर करने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है, लेकिन हमारा मानना है कि यदि न्यायिक अधिकारियों या जजों को किसी अपराध में फंसाया जाता है तो यह संस्था की साख पर असर डालेगा और जनता का विश्वास हिला देगा। हम राज्य के गृह मंत्रालय से अनुरोध करेंगे कि ऐसे मामले दर्ज करने से संबन्धित दिशानिर्देश तैयार करें। ‘ऐसे मामलों के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं’
आदेश देने से पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी साफ किया कि उनका मानना है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। पीठ ने कहा, ‘लोग यह कह कर आलोचना कर सकते हैं कि जज कानून से ऊपर नहीं हैं। बात सही भी है, लेकिन जब तक जज के केस में फैसला होगा, तब तक न्यायपालिका पर इसके दूरगामी प्रभाव पड़ चुके होंगे।’ पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में मीडिया कवरेज से भी मुद्दा काफी तूल पकड़ता है, लेकिन रिपोर्टिंग के लिए मीडिया को भी दोषी नहीं ठहरा सकते। इस पर अभियोजन महानिदेशक टीए शाजी ने कहा कि मीडिया से कहा जा सकता है कि वह ऐसे संवेदनशील मामलों को सनसनीखेज न बनाए। जस्टिस मुश्ताक बोले- यह जजों के साथ खास बर्ताव करने का सवाल नहीं है। ऐसे मुकदमों का न्यायपालिका की इज्जत और साख पर दूरगामी असर पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ऐसे मामलों से निपटने का कोई पैमाना तय कर सकता है।
CSR फ़ंड घोटाला क्या है ?
कॉरपोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी (CSR) फंड घोटाला करोड़ों रुपए का बताया जाता है। आरोप है कि ए कृष्णन नाम के एक व्यक्ति ने कई लोगों और चैरिटी संस्थाओं को आधे दाम पर बाइक, लैपटाप, सिलाई मशीन आदि देने का वादा करके करोड़ों का चूना लगाया। इसी मामले से संबन्धित एक FIR में जस्टिस नायर को आरोपी बनाया गया था। उन्हें एक NGO का संरक्षक होने के नाते आरोपी बनाया गया था।