कांग्रेस ने पूर्व की भांति तीव्र , समावेशी और सतत विकास के प्रति अपनी गहन प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की तो भाजपा ने भारतीयता का पुट देते हुए पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक टेक्नोलॉजी के माध्यम से एक स्वस्थ समाज निर्माण की बात कही । साथ ही पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को प्रोत्साहित किया है।
भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में रीसायक्लिंग के प्रोत्साहन और ई-वेस्ट मैनेजमेंट मिशन पर काफी जोर दिया है। साथ ही पंचामृत के अनुरूप नॉन फॉसिल ऊर्जा क्षमता बढ़ाकर 2070 तक नेट-जीरो एमिशन प्राप्त करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने का संकल्प लिया है।
कांग्रेस ने राष्ट्रीय अनुकूलन कोष में आवंटन बढ़ाने की बात कही है तो ग्रीन ट्रांजिशन के लिए आवश्यक फंडिंग को सुविधाजनक बनाने व 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य की प्राप्ति करेगी। राज्य सरकारों एवं निजी क्षेत्र के साथ मिलकर ग्रीन ट्रांजिशन फंड ऑफ इंडिया की स्थापना करेगी।
नए प्राधिकरण व योजनाओं का गठन
कांग्रेस ने पर्यावरण मानकों की स्थापना निगरानी व कार्यान्वयन और राष्ट्रीय-राज्य जलवायु परिवर्तन योजनाओं को लागू करने के लिए एक स्वतंत्र पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन हेतु नए प्राधिकरण के गठन करेगी तो वहीं बीजेपी ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण की बात कही है। भाजपा के अनुसार कई ऐसी योजनाएं क्रियान्वित की है जिससे पर्यावरण की सुरक्षा होगी जैसे- पीएम सूर्य घर योजना, रेलवे का विद्युतीकरण, ई-बस, इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रसार, एथनॉल और बायो फ्यूल का उपयोग इत्यादि। कांग्रेस जल शक्ति मंत्रालय के दायरे को बढ़ाने एवम् सभी शहरों, कस्बों, ग्राम पंचायतों में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के लिए एक राष्ट्रव्यापी योजना लागू करेगीवायु गुणवत्ता में सुधार
भाजपा वायु गुणवत्ता में सुधार हेतु राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम( एनसीएपी) की शुरुआत की जिसका उद्देश्य 131 शहरों में वायु प्रदूषण को कम करना है। इसके अलावा यह सुनिश्चित करेंगे कि देश के सभी क्षेत्रों में एनसीएपी के नेशनल क्वालिटी स्टैंडर्ड को प्रभावी ढंग से प्राप्त करें। जिसमें विशेष रूप से 2029 तक 60 शहरों पर विशेष ध्यान।कांग्रेस वायु प्रदूषण की समस्या से तत्काल निपटने के लिए कांग्रेस राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम को मजबूत करेगी।
आपदा प्रबंधन
भाजपा उचित नीतियों के माध्यम से प्राकृतिक आपदाओं में होने वाले नुकसान को बेहद कम करने हेतु आपदा प्रतिरोधी इकोसिस्टम बनाने की बात कही है। हिमालयी राज्यों में आपदा से बचाव का समग्र दृष्टिकोण अपनायेंगे।कांग्रेस ने आपदा प्रबंधन का दायरा बढ़ाते हुए इस विस्तार में जंगली जानवरों, घरेलू जानवरों, पालतू जानवरों, पशुधन, कृषि फसलों एवम् बागानों को भी शामिल किया है। साथ ही भूस्खलन के मुद्दे का अध्ययन करने, भूस्खलन को रोकने के उपाय विकसित करने एवम् नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति नियुक्त करेगी।
तटीय क्षेत्रों का संरक्षण
भाजपा ने जलवायु परिवर्तन से होने वाले सभी संभावित ख़तरों से अपने तटीय क्षेत्रों के संरक्षण की बात कही है तो साथ ही मछुआरा समुदाय की स्थायी आजीविका के साथ सुरक्षा एवम् अन्य सेवाओं के लिए सैटेलाइट इमेजरी विशेष कार्यक्रम के शुरुआत करेगी। मछली पालन में तटीय और जलीय प्राणियों के रोगों से निपटने, मछलियों के खाने व उनके विकास की जाँच के लिए तकनीकी के उपयोग की घोषणा की है।कांग्रेस ने मछली पकड़ने वालों की आजीविका की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध और उसे बिना प्रभावित किए तटीय क्षेत्र के संरक्षण की बात कही है ।
मानव-वन्य जीव संघर्ष
भाजपा वन से जुड़े क्षेत्रों में मानव -वन्य जीव संघर्ष को संवेदनशील तरीक़े से कम करने के लिए प्रदेश सरकारों और सभी हित धारकों के साथ काम करेंगे।कांग्रेस मनुष्य-जीव -जंतुओं के बीच बढ़ते संघर्ष में हस्तक्षेप करेगी और ऐसे समाधान पता लगाएगी जो संघर्ष के क्षेत्रों के लिए विशिष्ट है।
वनीकरण
भाजपा वन आवरण बढ़ाकर कार्बन सिंक के लक्ष्य को प्राप्त करने और जैव विविधता की रक्षा व संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध है । साथ ही हिमालय के वातावरण की रक्षा करेंगे।कांग्रेस वन क्षेत्र को बढ़ाने वन एवम् वन आवरण को फिर से परिभाषित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ काम करेंगे व आधुनिक वैज्ञानिक मानकों के अनुसार वनीकरण में स्थानीय समुदायों को शामिल करेगी।
जल प्रबंधन
भाजपा आधुनिक टेक्नोलॉजी और पारंपरिक ज्ञान के माध्यम से चेक डैम निर्माण, अमृत सरोवर निर्माण और बेसिन प्रबंधन को राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना में जोड़कर सभी प्रमुख नदियों के बेसिन संरक्षण और पुनर्जीवन में तेजी लाएंगे।कांग्रेस पानी तक व पानी के यथोचित बंटवारे पर विशेष ध्यान देगी । बाँधों एवम् जल निकायों में भंडारण, भूजल की भरपाई व राज्य सरकारों, नागरिक सामाजिक समाज संगठनों, किसानों, पंचायतों, ग्राम सभाओं, नगर पालिकाओं को शामिल करते हुए जल प्रबंधन का बड़ा भागीदारी कार्यक्रम बनायेंगी। साथ ही भूमिगत जल निकासी व सीवेज़ के सुरक्षित निपटान का एक व्यापक कार्यक्रम दस वर्षों में सभी क़स्बों-नगरपालिकाओं में लागू किया जाएगा।