11 साल बाद मिले पीएम मोदी और मोहन भागवत
पीएम मोदी और मोहन भागवत 11 साल बाद मिले है। यह ऐतिहासिक मुलाकात 30 मार्च को नागपुर में हुई है। दोनों के बीच आखिरी एकांत मुलाकात 10 मई 2014 को दिल्ली में हुई थी, जो लोकसभा चुनावों से ठीक पहले थी। इस मुलाकात ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई, बल्कि बीजेपी और आरएसएस के रिश्तों पर भी नई चर्चाओं को जन्म दिया।
कई मायनों में खास है ये मुलाकात
दोनों नेताओं की इस मुलाकात के कई राजनीतिक मायने भी है। सूत्रों के अनुसार मुलाकात के दौरान पीएम मोदी और मोहन भागवत में बीजेपी अध्यक्ष को लेकर भी बातचीत हुई है, ऐसी संभावना जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि अब बीजेपी अध्यक्ष के राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। अब उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा। बीजेपी के नए अध्यक्ष को लेकर दोनोंं के बीच विचार विमर्श चल रहा है।
संघ क्या चाहता है
आरएसएस चाहता है कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर ऐसे नेता को नियुक्त किया जाए जो संघ की विचारधारा से कार्य करे। माना जा रहा है कि इसलिए बीजेपी अध्यक्ष के लिए देरी हो रही है। नए अध्यक्ष के लिए बीजेपी और आरएसएस को मिलकर तय करना है। क्या है बीजेपी की रणनीति
वहीं, बीजेपी चाहती है जेपी नड्डा जैसे नेता को नया अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए, क्योंकि नोएडा ने अपने कार्यकाल के दौरान में केवल पार्टी को काफी मजबूती मिली। कई चुनावी राज्यों में उनका प्रभाव देखने को मिला। आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी ऐसे नेता को अध्यक्ष की कुर्सी पर देखना चाहती है जिससे पार्टी को फायदा हो।
नए पार्टी अध्यक्ष पर बीजेपी और संघ में नहीं बनी सहमति
आपको बता दे कि पहले खबरे आ रही थी कि इस मामले में बीजेपी और आरएसएस (RSS) आमने-सामने हैं। फरवरी के अंत तक बीजेपी के नए पार्टी अध्यक्ष का ऐलान होने की चर्चाएं चल रही थीं, लेकिन अब तक पार्टी को नया अध्यक्ष नहीं मिला है। सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि आरएसएस ने बीजेपी को यह सुझाव दे दिया है कि नया राष्ट्रीय अध्यक्ष किसे बनाया जाए, लेकिन बीजेपी इस बारे में सहमत नहीं है। आरएसएस चाहता है कि बीजेपी का नया अध्यक्ष ऐसा हो जो संगठन का भरोसेमंद हो और आरएसएस की कार्यप्रणाली और नीति को मानने वाला हो। वहीं बीजेपी जेपी नड्डा जैसा अध्यक्ष चाहती है, जिससे पार्टी को वैसे ही सफलता मिले जैसे नड्डा के नेतृत्व में मिली है।