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बिहार में महागठबंधन का चुनावी खाका तैयार: सीट बंटवारे पर सहमति, इन दो फैक्टर पर रहेगा जोर

Bihar Election: महागठबंधन की दूसरी औपचारिक बैठक 24 अप्रैल को पटना के सदाकत आश्रम में आयोजित होगी, जहां सीट बंटवारे पर गहन चर्चा की जाएगी। बताया जा रहा है कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सेट हो गया है।

पटनाApr 18, 2025 / 09:46 pm

Shaitan Prajapat

Bihar Assembly Elections: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर महागठबंधन के सहयोगी दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर सहमति का खाका तैयार हो गया है। गठबंधन के सूत्रों के अनुसार, सीटों के बंटवारे में उम्मीदवारों की ‘जीतने की संभावना’ और उनकी ‘साख’ को प्रमुख आधार बनाया जाएगा। महागठबंधन की दूसरी औपचारिक बैठक 24-25 अप्रैल को पटना के सदाकत आश्रम में आयोजित होगी, जहां सीट बंटवारे पर गहन चर्चा की जाएगी।

बैठक में छह सहयोगी दलों के दो-दो प्रतिनिधि होंगे शामिल

इससे पहले गुरुवार को हुई पहली बैठक में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को समन्वय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। तेजस्वी अब गठबंधन की अगुवाई में दूसरी बैठक आयोजित करेंगे, जिसमें सभी छह सहयोगी दलों के दो-दो प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस बैठक से सीट बंटवारे की प्रक्रिया औपचारिक रूप से शुरू होगी और चुनाव संबंधी अन्य रणनीतियों पर भी विचार किया जाएगा।

सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सेट

महागठबंधन में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सबसे बड़ा घटक दल है, और वह इस बार कम से कम 150 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। 2020 के विधानसभा चुनावों में राजद ने 145 सीटों पर चुनाव लड़ा था। वहीं कांग्रेस भी 2020 में लड़ी गई 70 सीटों से ज्यादा की दावेदारी कर रही है। कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा कि अंतिम फैसला पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सहयोगियों के परामर्श से किया जाएगा।

वीआईपी पार्टी भी चाहती है एक दर्जन सीटें

वामपंथी दलों की बात करें तो सीपीआई-एमएल (लिबरेशन) 30 से अधिक सीटों पर नजर बनाए हुए है। पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने कहा कि सीट बंटवारे में 2020 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन को अहमियत दी जानी चाहिए। माले ने 2020 में 12 सीटें और हाल के आम चुनावों में 3 में से 2 लोकसभा सीटें जीती थीं। वहीं सीपीआई और सीपीएम 10-12 सीटों की मांग कर रही हैं, जबकि वीआईपी पार्टी भी एक दर्जन सीटें चाहती है।
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जीत की संभावना और साख होंगे मुख्य आधार

गठबंधन सूत्रों ने बताया कि इस बार पिछले चुनावों में हुई रणनीतिक चूकों को नहीं दोहराया जाएगा। 2020 में कई सीटें बेहद कम वोटों से हारी गई थीं। इस बार वोट शेयर, उम्मीदवार की स्थानीय साख और जीत की संभावना जैसे ठोस मापदंडों के आधार पर सीटें तय की जाएंगी। साथ ही, सभी दलों के बीच बेहतर समन्वय के लिए पंचायत, ब्लॉक और जिला स्तर पर बैठकें आयोजित की जाएंगी ताकि प्रचार, बूथ प्रबंधन और संगठनात्मक तालमेल को और अधिक मज़बूती दी जा सके। महागठबंधन ने एकजुट होकर आगामी चुनावों में सत्ता विरोधी लहर का लाभ उठाने की रणनीति बना ली है।

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