क्या था पूरा मामला?
यह सब शुरू हुआ 6 अप्रैल 2025 को, जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपना 45वां स्थापना दिवस मना रही थी। इस मौके पर सुरेंद्र मेहता ने अपने बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के मंसूरचक प्रखंड में गोविंदपुर पंचायत के अहियापुर गांव में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया। इस आयोजन में सैकड़ों लोग जुटे थे, जिसमें महिलाएं, पुरुष और बच्चे सभी शामिल थे। मंच सजा हुआ था, और बीजेपी के स्थानीय नेता भी मौजूद थे। इसी दौरान मंत्रीजी ने 700 से अधिक लोगों को कंबल वितरित किए। इस घटना की तस्वीरें और वीडियो खुद सुरेंद्र मेहता ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए, जिसके बाद यह मामला तूल पकड़ गया। उनकी पोस्ट में लिखा था, “अंत्योदय एवं राष्ट्र निर्माण की भावना से कार्य करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के 45वें स्थापना दिवस पर कार्यक्रम हुआ। बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के गोविंदपुर पंचायत-दो के अहियापुर गांव में लोगों को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। जय भाजपा, भारत माता की जय।” हालांकि, पोस्ट में कंबल को ‘अंग वस्त्र’ कहकर पेश किया गया, लेकिन वायरल तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि लोगों के हाथों में ऊनी कंबल ही थे, जो सर्दियों में इस्तेमाल होते हैं।
गर्मी में कंबल क्यों?
40 डिग्री की तपती गर्मी में कंबल बांटने का फैसला लोगों के गले नहीं उतर रहा। जब बाहर पंखे और कूलर भी राहत देने में नाकाम हो रहे हों, ऐसे में कंबल बांटना किसी पहेली से कम नहीं लग रहा। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसकी जमकर आलोचना की। एक यूजर ने लिखा, “गर्मी में कंबल बांट रहे हैं, क्या मंत्रीजी को मौसम का पता नहीं?” तो किसी ने तंज कसा, “शायद अगली बार सर्दी में पंखे बांटेंगे!” कुछ लोगों ने इसे बीजेपी के स्थापना दिवस पर दिखावटी कदम करार दिया, तो कुछ ने सवाल उठाया कि क्या यह जनता की जरूरतों से ज्यादा सियासी चमक के लिए किया गया?
सोशल मीडिया पर हंगामा
वायरल तस्वीरों में सैकड़ों लोग कंबल थामे दिख रहे हैं। भीड़ में उत्साह भी नजर आया, शायद इसलिए कि मुफ्त में कुछ मिल रहा था। लेकिन जैसे ही ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैलीं, लोगों के कमेंट्स की बाढ़ आ गई। एक यूजर ने लिखा, “गजब तमाशा चल रहा है बिहार में, गर्मी में कंबल और शायद सर्दी में AC बांट दें!” एक अन्य ने मजाक में कहा, “कंबल सस्ते मिल गए होंगे, सोचा चलो बांट दो!” वहीं, कुछ लोगों ने इसे सियासी स्टंट बताते हुए कहा कि यह सब वोटरों को लुभाने की कोशिश है।
सुरेंद्र मेहता का इतिहास
यह पहली बार नहीं है जब सुरेंद्र मेहता चर्चा में आए हों। बिहार के पहले खेल मंत्री के रूप में नीतीश कुमार की कैबिनेट में शामिल होने के बाद से वे समय-समय पर सुर्खियों में रहे हैं। कभी अपने बयानों को लेकर, तो कभी अपने फैसलों को लेकर। इस बार गर्मी में कंबल बांटकर उन्होंने फिर से सबका ध्यान खींचा है। मेहता धानुक समुदाय से आते हैं, जो बिहार में अति पिछड़ा वर्ग (EBC) का हिस्सा है, और उनकी यह पहचान उन्हें स्थानीय स्तर पर मजबूत आधार देती है। लेकिन इस कदम ने उनके फैसले पर सवाल उठा दिए हैं।
लोगों की राय
कुछ लोगों का मानना है कि शायद कंबल सस्ते दामों पर उपलब्ध थे, इसलिए इन्हें बांटने का फैसला लिया गया। वहीं, कुछ का कहना है कि यह सम्मान के तौर पर दिया गया एक प्रतीकात्मक उपहार था, जिसे ‘अंग वस्त्र’ कहकर पेश किया गया। लेकिन ज्यादातर लोगों के लिए यह समझ से परे है कि गर्मी में कंबल की क्या जरूरत थी। विपक्षी दलों ने भी इस मौके को नहीं छोड़ा और इसे बीजेपी की नाकामी का सबूत बताया।