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नागदा

एमपी की ‘पैड वुमन’ डॉक्टर जिसने उठाया है 8400 महिलाओं की जिंदगी बदलने का बेड़ा

international Women’s Day: मध्य प्रदेश के उज्जैन की डॉक्टर डॉ. इंदु सिंह को नागदा की ‘पैड वुमन’ कहा जाता है। आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आइए जानते हैं 8400 महिलाओं की जिंदगी बदलने के उनके मिशन के बारे में। …

नागदाMar 08, 2025 / 09:08 am

Akash Dewani

International women's day special story of doctor indu singh who has taken up the task of changing the lives of 8400 women
International Women’s Day: मध्य प्रदेश के नागदा ग्रामीण क्षेत्र की एक महिला, कमला (परिवर्तित नाम), जो पीरियड्स के दौरान कपड़े का उपयोग करती थी, अनजाने में अपने स्वास्थ्य को जोखिम में डाल रही थी। लगातार होने वाली शारीरिक समस्याओं से हताश कमला की जिंदगी तब बदली, जब एक महिला डॉक्टर उनके जीवन में देवीय रूप में आईं।
यह डॉक्टर थीं डॉ. इंदू सिंह, जिन्होंने कमला को कपड़े की जगह सैनिटरी पैड के उपयोग की सलाह दी। इस एक छोटी-सी सलाह ने कमला को एक स्वस्थ जीवन की ओर बढ़ने में मदद की। लेकिन यह सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं है—डॉ. इंदू सिंह हजारों महिलाओं के जीवन में जागरूकता की रोशनी फैला रही हैं।
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डॉक्यूमेंट्री के जरिए हजारों महिलाओं को कर रहीं जागरूक

महिलाओं को पीरियड्स के दौरान कपड़े के उपयोग से होने वाली शारीरिक समस्याओं और संक्रमण के खतरों से बचाने के लिए, डॉ. इंदू सिंह नागदा के ही डॉक्टर सुरेंद्र मीणा की मदद से एक डॉक्यूमेंट्री बना रही हैं। 10 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री को तैयार करने के लिए करीब 8 से 10 युवाओं की टीम शहर-शहर, गांव-गांव जाकर महिलाओं की समस्याओं को समझ रही है। बीते एक साल में टीम ने 8400 महिलाओं की पीड़ा को अपने कैमरे में कैद किया है। डॉ. इंदू सिंह ने महिलाओं को कपड़े के उपयोग के दुष्प्रभाव बताए और उन्हें सैनिटरी पैड अपनाने के लिए प्रेरित किया। नतीजा यह हुआ कि अब कई महिलाएं अपनी सोच बदलकर पैड का उपयोग कर रही हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव देखने को मिल रहा है।
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युवकों को भी बनाया डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा

इस प्रोजेक्ट में सिर्फ युवतियां ही नहीं, बल्कि युवक भी शामिल किए गए हैं। इसके पीछे की वजह बताते हुए डॉ. इंदू सिंह कहती हैं ‘अक्सर युवक, पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं को समझने के बजाय, उनका मजाक उड़ाते हैं। इस डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से हम युवकों को भी जागरूक कर रहे हैं, ताकि वे महिलाओं की तकलीफ को महसूस करें और इस विषय को मजाक के बजाय गंभीरता से लें।’

गांव-शहर की महिलाएं होंगी डॉक्यूमेंट्री का हिस्सा

अगले 6 से 8 महीनों में डॉक्यूमेंट्री पूरी होने की उम्मीद है। इसके बाद इसे सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर प्रसारित किया जाएगा, ताकि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं तक यह संदेश पहुंचे।डॉक्यूमेंट्री में शहरों और गांवों की अपर, मिडिल और लोअर क्लास की 8200 से अधिक महिलाएं और युवतियां अपने विचार साझा कर चुकी हैं।

महिलाओं को स्वस्थ भविष्य देना है मिशन

डॉ. इंदू सिंह का यह प्रयास सिर्फ एक डॉक्यूमेंट्री तक सीमित नहीं है। यह महिलाओं के स्वास्थ्य, जागरूकता और समाज में पीरियड्स को लेकर बनी झिझक को दूर करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। उनका यह मिशन हजारों महिलाओं की ज़िंदगी बदल रहा है और उम्मीद है कि यह जागरूकता अभियान भविष्य में अनेक महिलाओं को स्वस्थ और बेहतर जीवन की ओर ले जाएगा।

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